Thursday, November 20, 2008

बेटीयाँ

अंधेरे में रौशनी और धुप है हमारी बेटीयाँ !
इश्वर का रूप है हमारी बेटीयाँ !
ममता की मूरत करुना की सूरत है हमारी बेटीयाँ !
किसी का प्यार किसी का दुलार है हमारी बेटीयाँ !

सभ्यता और धेर्य सहयोग सद्भाव है हमारी बेटीयाँ !
दुःख में सुख की खुशबू और बहार है हमारी बेटीयाँ !
खुशियाँ लेकर आती है और सब में बाँट देती है हमारी बेटीयाँ !
किसी की माँ किसी की बहिन किसी की पत्नी किसी की बेटी,
रिश्तो को बंधने वाली रेशमी डोर है हमारी बेटीयाँ !

जहाँ प्यार ही प्यार है अपार वो छोर है हमारी बेटीयाँ !
किसी का घर किसी की ग्रहस्ती किसी का संसार है हमारी बेटीयाँ !
इन्हे सुख दो तो जिंदगी भर साँथ निभाती है हमारी बेटीयाँ !
जिंदगी के सफर में हम सफर बनके आती है हमारी बेटीयाँ !
भटके को राह उलझन को सुलझन धूप में छाव है हमारी बेटीयाँ !

जड़ता में गति कुमति में मति चरित्र में सती है हमारी बेटीयाँ !
झूठ में सच्चाई भूल में सुधार नफरत में प्यार है हमारी बेटीयाँ !
पुरूष का जीवन आधार बन जाती है हमारी बेटीयाँ !
बेसहारा को सहारा अपंग को बैशाखी बन जाती है हमारी बेटीयाँ !

इन्हे अबला ना समझो ये सबला है !
इनके धेर्य की परीक्षा मत लो बुझी ना समझो ,
वरना जरुरत में अंगार बन सकती है हमारी बेटीयाँ !
ज्यादा न गुर्राओ इन पर जुल्म ना ढाओ ,
वरना मिटा सकती है तुम्हे ऐसी शक्ति है हमारी बेटीयाँ !

अपनी मनमर्जी ना चलाओ इन पे गुलाम ना बनाओ इन्हे ,
वरना आजादी की जंग में दुर्गा काली बन सकती है हमारी बेटीयाँ !
इन्हे ना सताओ वरना अभिशाप बन जायेगी हमारी बेटीयाँ !
गर सताई गयी ज्यादा तो काली का रूप धारण कर सकती है हमारी बेटीयाँ !

इनको पराई ना समझो किसी का घर बसाने की लिए ,
अपनों से दूर अंजानो में जाने के लिए खुशी खुशी तैयार है हमारी बेटीयाँ !
अपने माँ बाप को आजीवन नही भुला सकती है ,
ऐसी याददास्त रखती है हमारी बेटीयाँ !

वंदना

ओ धरती माँ तुझ को शत शत वंदन ,
तुझको कोटि कोटि नमन वंदे मातरम ! -२
वंदे मातरम - ३ भारत माँ !

तेरे माटी पानी मिलकर तेरा कण कण उगले सोना ,
तेरी हरी भरी ये फँसले तेरे लहलहाते खेत !
तेरे भरे हुए खलिहान धन धान्य से भरती माटी !
घर घर का कोना माटी उगले सोना !!

तेरा निर्मल जल पीकर ये जीवन हुआ निर्माण ,
तेरी शीतल मंद पवन देती जीवन को प्राण !
तेरी रज रज है प्यार तेरे हम पे बड़े उपकार !
हर दिन गाए तेरे गुणगान - धरती माँ !!

तेरी बसंत ऋतू जो आती डाली डाली कनक बोराई ,
झूमे झूमे हर अमराई कुह कुह कोयल छेड़े तान !
करते पिहू पिहू पपीहा गान !
तेरे स्वर्ण सजे उद्यान मीठे मीठे फलों की खान !!

तेरी भोर सुहानी होती किरणे बिखरे जहाँ मुस्कान ,
तितलियाँ फूल फूल मंडराती गुनगुन भौरे करते गान !
रंग बिरंगे पंख पखेरू उड़ते उड़ते नीले नीले आसमान !
देते खुशियों के पैगाम !!

तेरे पर्वत ऊँचे ऊँचे जिनके शिख छुए आसमान ,
झर झर झरने गीत सुनाये नदियाँ करति कल कल गान !
कराती म्रदुल म्रदुल जल पान !!

तेरे रंग भरे त्यौहार लाये खुशियों की बहार ,
दीवाली आती है हर साल बनते मीठे मीठे पकवान !
घर घर सजती दीपों की मॉल जगमग जगमग हर घर द्वार !
रोशन धरती से आसमान !!

होली आती है हर साल लाती रंगो की बहार ,
सारे रंग जाये एक रंग बजे ढोल मृदंग और साज !
नाचे संग संग दे दे ताल झूमे नाचे गाये राग !
गली गली में उड़ते रंग गुलाल मस्ती में नाचे आँगन आँगन !!

और बरबाद ना करो देश को

मेरे देश के नेता मत बांटो वोट में देश को !
और विदेशों के हाथों में बेचो ना मेरे देश को !
रख हाथ कटोरे भीक न मांगो गिरवी रखो ना देश को !
फ़िर से गुलामी की जंजीरे पहना देना ना मेरे देश को !!

भूना लिया बापू गाँधी को चर गये सारे देश को !
ख़त्म किया इंदरा राजीव को खा गए लालबहादुर को !
खून से लथ पथ माँ का अंचल कफ़न नही आजादी को !
वीर शहीदों की माटी में ही दफ़न किया कुर्बानी को !!

न्याय हुआ नीलम चौराहे और हलाल किया इंसानो को !
सत्ता पैसा और कुर्सी ने रोंदा राष्टृ निशान को !
सत्ता की छीना झपटी ने भुला दिया सम्मान को !
जात पात के बंधन में ना बांधो मेरे देश को !!

धर्म मजहब की आग में झोंको ना मेरे देश को !
जुलुस और जलसों में अपना शक्ति प्रदर्शन बंद करो !
खून खराबा नफरत को और हवा ना दो अब दंगो को !
कोठी बंगले एशो अराम के छोड़ो सब अधिकारों को !!

संत्री मंत्री और जंत्री की तोड़ो लम्बी कतारों को !
उद्घाटन चाटन बंद करो झूठे वादे नरो को !
तुम्हे मात्रभूमि की सौगंध है और बर्बाद ना करो देश को !
आश्वासन भाषण बंद करो रोजी रोटी दो मेरे देश को !!

तन पे लंगोटी तन ढकने को माँ बहिनों को चुनरिया दो !
जीने को हवा पिने को पानी छत हो रात बिताने को !
सुख चैन अमन से जिये आदमी हर सुबह नयी खुशियाँ दो !
गर जन क्राँति जाग उठी तो रोक सकोगे ना लोगों को !!

छिन जायेंगे कोठी बंगले तख्त ये शाम जश्नों की !
असली चहरे सामने होंगे नोचेंगे दोहरे मुखोटे को !
गद्दारों को देश बदर कर सबक सिखायेंगे मक्कारों को !
देश द्रोही का मूल मिटाकर ललकारेंगे घूस खोरों को !!

अमीर गरीब

गरीबे रेखा से ऊपर रहने वाली लड़की की नजर !
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लड़के से जा टकराई ,
लड़का घबराया लड़की मुस्कुराई !

लड़के ने अपने आप को संभाला और बड़ बडाया !
क्यो डोरे डाल रही हो हम पे जानेमन ,
क्या हमारे शरीर से दिल और खोपड़ी से मगज उड़ा दोगि !
हम आँहे भर भर कर मर जायेंगे आँखों में तुम्हारी तस्वीर लेकर ,
मगर तुम्हे न पाएंगे !
क्योकि तुम्हारे और हमारे बीच गरीबी की रेखा आजायेगी ,
तुम हमारी दुल्हन न बन पाओगी !

तुम दौलत की चकाचोंध में चकाचक हो हुस्न बेमिसाल रूप लाजवाब ,
जिधर देखो उधर तुम्हारे जलवे है खुशियाँ तुम्हारे चरण चूमती है !
क्या काया है संगमरमर सी क्या चहरा टमाटर से गाल ,
गुलमोहर से होंठ चिकनी चमड़ी गौरी काया आप के साथ है !
खुशियों के गाने मस्ती के तराने लोग आप के दीवाने !

लड़की: तुम भी इन्सान हो हम भी इन्सान है ,
फ़िर क्यो अंतर है आप में और हम में !

लड़का: क्यो की तुम दौलत के बीच रहती हो तिजोरी पे सर रख के सोती हो !
शानो सौकत वैभव आप के पास है कोठी बंगले गाड़ी आपके साथ है !
जब की हम फटेहाल फुटपाति दलित घ्रणित गंदे गाँवार हिन्दुस्तानी ,
हिंदुस्तान की गन्दी बस्ती में रहने वाले ,
मगर दिल हमारे पास भी है तन है मन है हम भी आदमी है !
हमारी भी भावनाए है हमारी भी इच्छाये है !
हमारी भी आंखे है नजर है हम भी डोरे डाल सकते है आप पे ,
हम भी चहरा सेवफल गाल गुलमोहर कर सकते है !
उजली काया चिकनी चमड़ी हसीन गोलमोल गोलगप्पा ,
हम भी हो सकते है !
फ़िर आपमें और हममे क्या अन्तर रह जाएगा ?

आपको कौन हसीन कहेगा ?
आप हम सब एक से हो जायेंगे कौन किसका मालिक कौन नौकर ,
कौन सेठ कौन साहूकार कौन कर्जदार!
कौन साहेब कौन अर्दली कौन गरीब और कौन अमीर कहलायेगा !
जब सभी गुलमोहर हो जायेंगे तो बुलबुल कौन कहलायेगा !
और कौन राजा और प्रजा रह जाएगा !
और गरीबी रेखा के नीचे अगर कोई नही रहेगा तो ,
हमारा देश विदेशो से अरबो खरबों का कर्ज कैसे ले पायेगा !
मेरे देश का नेता अपनी तोंद कैसे बडायेगा !

अतः हम आपकी खातिर गरीबी रेखा के नीचे है !
बासी दाल सुखी रोटी खाकर काली रात में तंग बस्ती में रहकर भी जिन्दा है !
आप हमारे चक्कर में मत पड़े वरना एक मिनिट में सारा नशा उतर जाएगा !
सुबह से शाम तक दो सुखी रोटी खाकर मजदूरी करोगी तो ,
थकान में दिमाग आसमान में पहुँच जाएगा !
और दिल हाथ में आ जाएगा !

आप हमारे साहेब हो हम आपके नौकर ,
आप जमीदार सेठ साहूकार मालिक मुखिया पटेल ,
हमारे माई बाप हो !
ये झुग्गियाँ नही होगी तो आपके महल कौन बनाएगा !
और गर सब नेता होंगे तो जनता कौन होगा !
और आप जब आकाश मार्ग से विमान में उड़ते हुए ,
भाषण देने के लिए किसी गाँव में उतरेंगे तो ,
आपके भाषण सुनने कौन आयेगा !
विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जो भी आपको बनना है !
चाहे काबिल हो न हो ,
आपको इस पद तक पहुचाने के लिए ,
रुपयों के लालच में फंस कर आपको विजय श्री दिलवाने ,
के लिए वोट डालने कौन आएगा !

इसलिए हमें गरीबी रेखा के नीचे ही रहने दीजिये !
आप हमारा चक्कर छोड़े ,
ये आपके हुस्न के डोरे किसी गरीबी रेखा के ऊपर रहने वाले ,
नौजवान पर डाले !
आप भी धन्य हो जाओगे वो भी धन्य हो जाएगा !
जिंदगी मौज मस्ती से गुजरेगी जीवन भर साँथ निभाएगा !
हमारे साँथ आओगी तो फांके पड़ जायेंगे !
३६५ दिन में दो बार खाना कभी कभी ही मिल पायेगा !
भर जवानी में हुस्न ढल जाएगा बदहाली मूफ़लिसी ,
गरीबी में एक झोपडी में ही रहते रहते जीवन गुजर जाएगा !
शायद जिंदगी के बीच सफर में ही आपको जो अभी दिख रहा हूँ ,
चार कंधो पे चढ़ कर शमशान चला जाऊँ !
और वापस लौट कर कभी नही आऊँ ,
और जवानी में ही आपको बेवा कर जाऊँ !!

मिलकर बदल दे ये हवा

ये कैसी चली है हवा सब कुछ ही बदला बदला हुआ !
आदमी आदमी को कुछ समझता नही रुपया पैसा ही सब कुछ हुआ !!

इंसानियत न जाने कहा खो गयी लहू लहू का ही दुश्मन हुआ !
नाम रिश्तो को देते है हम अपना ही अपना न हुआ !!

जिसको पाला पोसा बड़ा किया जो किया वो उम्मीद का घरोंदा ही बिखरा !
जो दिल का तो था हिस्सा मगर बुडी सांसो को उसने किनारे किया !!

हर तरफ़ नफरत की दीवारे खड़ी प्यार तो बस एक सपना हुआ !
मिलना जुलना तो होता मगर दिल से दिल का मिलन न हुआ !!

मतलब की बस यारी रही है दुःख दर्द का कोई न साथी हुआ !
जिनको गले से लगते है हम वो ही गले का फंदा हुआ !!

आओ मिलकर बदल दे हवा ये और प्यार का फूल खिलाये !
मतलब परस्त दिल से न हो वास्ता ना किसी को किसी से शिकवा गिला !!

जुलुस और पिता पुत्र

श्री गणेश विसर्जन के जुलुस में ,
मूंगफली के ठेले के सामने चार मित्रो के साँथ ,
मूंगफली चबाते हुए एक नवजवान पुत्र से ,
उसके पिता जा टकराए !
पिताजी चिलम में टुन्न थे पुत्र जी टनाटन बोतल बंद !

पिताजी ने जैसे ही पुत्र को पहिचाना ,
सर से पैर तक म प्र शाशन की बस की तरह भनभनाये !
और उसके रेडियेटर के पानी की तरह खद्खदाते हुए उबल पड़े !
और भन भनाते हुए बड़ बडाये !
क्यो तुझे ना तेरे सम्मान की चिंता है न मेरे सम्मान की ,
जो खुलेआम शराब पीकर आवारा गर्दी करता है !

सम्मानीय पिताजी मैने तो छुपकर पी थी !
आपको कैसे दिख गयी , खुलेआम तो आपने कर दी !

तुझे थोड़ी बहुत शर्म भी आती है बेशर्म !

शर्म तो आती है पिताजी इस लिए ही तो पी है !
ताकि बेशर्म हो जाए जी में आए वो कर पाए !
मौज मस्ती मनाये इंजॉय माय फादर एन्जॉय !!

अरे पिताजी आप ही शरमा जाते !
चुप चाप मेरे बाजु से निकल जाते !
मुझे नजरअंदाज कर जाते !

अरे मुर्ख मेरा तो शर्म से माथा झुका जा रहा है !
तुझे पैदा करके ही पछता रहा हूँ !
बेवकूफ निकम्मे शराब भी कोई पीने की चीज है !!

आदरणीय पिताजी में आपके लायक नही था तो मुझे इस जमीन पे क्यो लाये ?
और शराब पीने के लिए नही है तो हमारी सरकार ने ,
शहर शहर गाँव गाँव गली मोह्हले में शराबखाने क्यो खुलवाये ?

अरे उल्लू मुह्जोरी करता है न पड़ता लिखता है आवारा गर्दी !
दो साल में पाचवी तीन साल में आठवी ,
दो साल से दसवी में फेल हो रहा है क्या पंचवर्षीय योजना बनाएगा ?
लगता है इस साल तो पास नही हो पायेगा !

पिताजी में इस मामले में सरकार की मदद कर रहा हूँ !
अगर में हर वर्ष पास हो गया होता तो में भी पोस्ट ग्रेजवेट ,
बेरोजगार होता और सरकार की चिंता बड़ जाती !
एक बेरोजगार को रोजगार देने की ,
बेरोजगारों की पंगती में एक संख्या और बड़ जाती !
और कोई आप से पूछे आपका लाडला क्या कर रहा है !
तो आप बड़े गर्व से कह सकते है मेरे लड़का अभी पड़ रहा है !

अरे मेरे कुल के लाल तुझे कब समझ आएगी !
तेरे उमर के लड़को की शादी हो गयी है !
तेरी शादी हो जाती घर में बहु होती गोद में लड़का ,
तेरी जगह वो पड़ता !

पिताजी जब हम न पड़ेंगे न पास होंगे न आगे बढेंगे ,
न हमारा कोई रोजगार होगा और ना शादी होगी !
न बेटा इसलिये पिताजी उस बेटे की जगह इस बेटे को पढाये !
और वैसे भी देश की जनसँख्या एक अरब से ऊपर हो गयी है !
अतः जनसँख्या वृधि न होने में मुझे देश की मदद करने दो !
श्री अटल जो को देखिये अकेले ही अकेले आगे न पीछे ,
मुझे भी अटल जी की तरह रहने दीजिये !
देश की कुछ जिम्मेदारी मुझे भी उठाने दीजिये !
ये शादी का चक्कर छोड़ो ये फंदा मेरे गले मत डालिए !
मेरे गले को स्वतन्त्र रहने दीजिये !

पत्नी की परतंत्रता की बेडीयो में जकड़ने से मुझे बचे रहने दीजिये !
और आप भी अपने आप को दहेज़ लोभियों की सूचि में जाने से बचाए रखिये !
और माँ को सास के खलनायीका के रोल में जाने से बचाइए!
माँ को माँ रहने दीजिये !

बहु जलाने के मामले में फसने से माँ के साथ साथ ख़ुद भी बचे रहिये !
न सास होगी न बहु न ससुर न झगड़े होंगे !
और न रोज रोज के घर में लफड़े,
और न माँ बाप बहु बेटे के अलग अलग चुल्हे ,
माँ को आजीवन माँ ही रहने दीजिये !
पिताजी आप पिता ही रहिये और मुझे किसी के बाप की बजाये ,
आप का बेटा ही रहने दीजिये !
हम आजीवन साथ रहेंगे कभी न बिछडेँगे ,
अपने घर को बटवारे से बचाइए !

मेरी शादी की तरफ़ से बेफिक्र हो जाइये !
२५० ग्राम गरमा गरम मूंगफली ले जाइये !
माँ और आप घर पर साथ बैठकर खाना ,
और जब नींद आ जाए सो जाना !
जुलुस में बड़ा गरमा गर्म मसाला है बहुत मौज मस्ती ,
आपके गतिरोध की लाल झंडी हटाइए !
आपका जुलुस घर की तरफ ले जाइये ,
हमारे जुलुस को आगे बड़ने के लिए हरी झंडी दिखाइए !

यही जिंदगी है

अपनी धरती अपना अम्बर ये सारी जमी ही अपनी है !
जहाँ रहो आबाद रहो खुश रहो खुशियाँ बाँटो यही जिंदगी है !!

जैसा सोचोगे वैसा पाओगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे !
जैसी करनी वैसी भरनी यही जिंदगी है !!

जो मिल गया है उसे सहेजो जो खो गया उसे जाने दो !
खोने का गम मिलने की खुशी ये आनी जानी है यही जिंदगी है !!

फूल के संग कांटे भी है धुप के संग संग छाँव भी है !
सुख दुःख एक सिक्के के पहलु जिंदगी एक पहेली है !!

पल में आशा पल में निराशा आँखों में अश्क तो होटों पे मुस्कान !
हर पल बस मुस्कुराते रहो हंसो और हँसाते रहो यही जिंदगी है !!

कल होना हो कल का ना भरोसा आज अभी जो होना होगा हो जाने दो !
बीत गया वो ही पल अपना उम्र की यही तो गिनती है यही जिंदगी है !!