Wednesday, November 19, 2008

इंतजार जरी है

उनके इंतजार में चाँद तारे भी जागे !
जाग जाग कर जब सुबह हुई तो , सूरज से कह गए !
कहीं वो मिले तो उंनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

नदियों की लहरे आ किनारों पे ठहरी कस्तियाँ से अपने अपने साहिल को साधे !
सुबह जब हुई तो बहते धारों से कह गए !
कही वो मिले तो उनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

उड़ उड़ के पंछी अपने अपने घरोंदो में आए !
खुशबू और बहारों ने अपने डेरे बागों में लगाये !
सुबह जब हुई तो खिलते फूलों से कह गए!
कही वो यहाँ बागों में आए उनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

पूजा नमाज इश वंदना और होती अरदास !
मालिक से अपने अपने उनके लिए ही मांगे दुआए!
सुबह जब हुई तो आरती अजाने बहती हवओं से कह गयी!
कही वो मिले तो उंनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

साँझ ढली तो अंधेरे घिर आए माँओ ने घर अपने दीप जलाये !
सुबह जब हुई तो रंभाती गाए अपने बछडोँ से कह गयी !
यहाँ आए वो तो उंनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

आजादी के बाद कितनी ही सुबह हुई साँझ ढली कितनी !
मगर वो ना आए जिनका इंतजार था मगर वो ना आए जिनका इंतजार था !
वो कोई और नही है मेरे वतन की खुशी अमन चैन है वो !
जिनके इंतजार में हम तुम भी जागे !
जिनके इंतजार में अनेको शहीदों के सज गए जनाजे !!

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