अंधेरो में भटका हुआ है हम !
कही कोई रौशनी तो मिले हमें !
जो अंधेरो से निकाले हमें !
ये जिंदगी क्या है ये बतादे हमें !
ये जिंदगी एक ख्वाब सी लगती है ,
हर तरफ़ वीरानी सी नजर आती है हमें !
बहारों को ना जाने क्या हो गया है ,
खुशबू भी गुमसुम सी नजर आती है हमें!
हम चौराहे पर आ खड़े है ,
ये जिंदगी बाजार नजर आती है हमें !
हर तरह दौलत के लुटेरे है यहाँ ,
ये जिंदगी तार तार नजर आती है हमें!
इंसानियत बम के धमाको में गुम है ,
हर तरफ़ हैवानियत नजर आती है हमें !
दिलो में शोले धधकते हुए है ,
हर आँखों में आग सी नजर आती है हमें!
यहाँ आदमी की औकात ही क्या है ,
बस चलती फिरती लाश नजर आती है हमें !
No comments:
Post a Comment