Thursday, November 20, 2008

जिंदगी है कागज़ की नाव

जिंदगी है नाव संसार की नदियाँ में बहती जाए रे !
कभी साहिल पे तो कभी साहिल से दूर ,
लहरों के बीच बीच बहती जाए रे !

तुझे जाना है दूर और दूर तेरा गाँव है !
ये जिंदगी कागज की नाव है ,
इसे हौले हौले संभाल इससे थाम थाम रे ,
प्रीत की डोरी से बाँध बाँध रे !

इसका तू ही खिवैया इसकी तू ही पतवार है ,
प्रियतम को बनाले बादवान रे !

रुख हवाओ का बलदे ऐसे आए तूफान है ,
झूठ मोहमाया की पल्लारो में उठाते उफान है !
सच को पहिचान सच की ताकत को जान ,
सच को बनाले बादवान रे !

चल कपट के मगर सूंस लहरों के बीच,
लहरों के बीच बीच नफरत की बनती भवरे है!
अपने हौसलों को जान अपनी ताकत पहचान ,
उम्मीदों को बनाले बादवान रे!

कभी आती है गम की भी लहरे लहरे,
संग संग लहरों की कल कल में खुशियों के गान है !
अपनी खुशियाँ पहिचान उनकी ताकत को जान ,
खुशियों को बनाले बादवान रे !

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