गाँधी तेरी कसमे बेचीं बेच दिया ईमान यहाँ!
गाँधी तेरे अनुयायी हुए सबके सब बईमान यहाँ !!
सत्ता के खातिर इनने तो सत्य अहिंसा छोड़ दिया !
वीर शहीदों के सपनो को धुंआँ बना कर उड़ा दिया !!
उग्रवाद के दावा नल से भारत माता घायल है !
भीगा भीगा अंचल है और जख्मी जखमी पायल है !!
उजड़े उजड़े घर आँगन है सिसकारी में साँझ ढली!
और आंसू पीड़ा जहाँ में है रोज लहू ले भोर चली!!
तुष्टिकरण की परिपाटी ने उग्रवाद को पला है !
वोट बैंक की खातिर अपना देश धर्म बेच डाला है!!
सत्ता के ठेकेदारों ने जातिवाद का चलन लाये है !
अपनी अपनी ढपली बजाते अपने अपने राग अपनाए है !!
राजनीती के पंडो ने सारे देश को ही चट कर डाला है !
नामी गिरामी गुंडों को इनने ही मिल कर पला है !!
वीर शहीदों की कुर्बानी को इनने खूब भुनाया है !
अपने अपने स्वार्थ सिद्धि में सत्ता को ढाल बनाया है !!
नारेबाजी हंगामो ने संसद को सड़क बनाया है !
देश के कर्णधारो ने ही संसद का सम्मान गिराया है !!
जिनके आचार विचार नही कुछ उनने संसद में आसन पाया है !
आपस की धेंगा मस्ती ने संसद को अखाड़ा बनाया है !!
मक्कारी की होड़ मची है और देश भक्ति की बात नही !
आजादी अंग भंग हुई और लोकतंत्र की टांग नही !!
संविधान पर होता हमला हो जाती है मौत कही !
न्याय पालिका तो है लेकिन सत्य झूठ की खोज नही !!
बिखराव के चले चलन में आओ जोड़ने का कुछ जतन करे!
विधवंश की राह छोड़कर आओ मिलकर सर्जन करे!!
परिवर्तन के इस युग में आओ राष्ट्र चरित्र निर्माण करे !
प्रगति की राह पर बड़कर राष्ट्र का नव निर्माण करे!!
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