Thursday, November 20, 2008

इक्कीसवी सदी आ गयी है

किसी को किसीसे मोहब्बत नही है !
किसी को किसी की चाहत नही है !
रिश्तो में कैसी दरार आ गयी है !
शायद दिलो से मोहब्बत फरार हो गयी है !!

मतलब की दुनिया में नफरत पली है !
होठो पे मीठी बाते मगर दिल में छुरी है !
किसपे कैसे कैसा भरोसा करे हम ,
भरोसे के पीछे दगा जो छिपी है !
दोहरे चहरे की तरकीब सभी को रास आ गयी है !!

सच्चाई कही पे दफ़न हो गयी है !
झूठ पे देखो चमक छा रही है !
मर्यादा सारी बदल सी गयी है !
टी वी पे नग्नता की बहार छा रही है!!

बुडी पीड़ी को देखो यारों चने चबा रही है !
युवा पीड़ी को देखो नशे में डूबी जा रही है !
किसी को किसीपे रहम ही नही है !
लगता है साडी दुनिया ही बेरहम हो गयी है!!

सत्ता के लिए देखो यहाँ वहा जंगे छिडी है !
बारूदी इरादे लिए दुनिया आमने सामने आ खड़ी है !
भौतिकता की दौड़ में ये दुनिया ना जाने कहा जा रही है !
नैतिकता के हुए पतन में इक्कीसवी सदी आ गयी है !!

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