Thursday, November 20, 2008

गुजरे जो दौर गम के

पतझर सी जिंदगी है राहे है सूनी सूनी !
खुशियाँ दूर हमसे जैसे डाली से दूर पाती !!

बिखरा है रंग गुलाबी डाली है खाली खाली !
पतझर का पलाश हूँ में जिंदगी है खाली खाली !!

दिवानो की तरह राहे दर दर भटक रहे है !
परवानो की तरह शमा में रह रह के जल रहे है !!

तनहाईयों में कटती राते करवटे बदल बदल कर !
रह रह के आंहे भरते तकिया मसल मसल कर !!

तनहा ये जिंदगी है जमाना भी बेरहम है !
मोहब्बत को मार डाला रस्मो की दे कसम है !!

दिल में है जख्म गहरे आँखों में बस उदासी !
साहिल पे हम खड़े है हर चाहत रही है प्यासी !!

खाली पैमाने की तरह लुडकते जिंदगी मय खाने सी हो गयी है !
कैसे भुलाये गम को पास मय नही ना साकी है !!

स्याही में दिल डूबा है हाथो में बस कलम है !
कैसे लिख दे गीत खुशियाँ जब गुजरे जो दौर गम के !!

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