Thursday, November 20, 2008

अमीर गरीब

गरीबे रेखा से ऊपर रहने वाली लड़की की नजर !
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लड़के से जा टकराई ,
लड़का घबराया लड़की मुस्कुराई !

लड़के ने अपने आप को संभाला और बड़ बडाया !
क्यो डोरे डाल रही हो हम पे जानेमन ,
क्या हमारे शरीर से दिल और खोपड़ी से मगज उड़ा दोगि !
हम आँहे भर भर कर मर जायेंगे आँखों में तुम्हारी तस्वीर लेकर ,
मगर तुम्हे न पाएंगे !
क्योकि तुम्हारे और हमारे बीच गरीबी की रेखा आजायेगी ,
तुम हमारी दुल्हन न बन पाओगी !

तुम दौलत की चकाचोंध में चकाचक हो हुस्न बेमिसाल रूप लाजवाब ,
जिधर देखो उधर तुम्हारे जलवे है खुशियाँ तुम्हारे चरण चूमती है !
क्या काया है संगमरमर सी क्या चहरा टमाटर से गाल ,
गुलमोहर से होंठ चिकनी चमड़ी गौरी काया आप के साथ है !
खुशियों के गाने मस्ती के तराने लोग आप के दीवाने !

लड़की: तुम भी इन्सान हो हम भी इन्सान है ,
फ़िर क्यो अंतर है आप में और हम में !

लड़का: क्यो की तुम दौलत के बीच रहती हो तिजोरी पे सर रख के सोती हो !
शानो सौकत वैभव आप के पास है कोठी बंगले गाड़ी आपके साथ है !
जब की हम फटेहाल फुटपाति दलित घ्रणित गंदे गाँवार हिन्दुस्तानी ,
हिंदुस्तान की गन्दी बस्ती में रहने वाले ,
मगर दिल हमारे पास भी है तन है मन है हम भी आदमी है !
हमारी भी भावनाए है हमारी भी इच्छाये है !
हमारी भी आंखे है नजर है हम भी डोरे डाल सकते है आप पे ,
हम भी चहरा सेवफल गाल गुलमोहर कर सकते है !
उजली काया चिकनी चमड़ी हसीन गोलमोल गोलगप्पा ,
हम भी हो सकते है !
फ़िर आपमें और हममे क्या अन्तर रह जाएगा ?

आपको कौन हसीन कहेगा ?
आप हम सब एक से हो जायेंगे कौन किसका मालिक कौन नौकर ,
कौन सेठ कौन साहूकार कौन कर्जदार!
कौन साहेब कौन अर्दली कौन गरीब और कौन अमीर कहलायेगा !
जब सभी गुलमोहर हो जायेंगे तो बुलबुल कौन कहलायेगा !
और कौन राजा और प्रजा रह जाएगा !
और गरीबी रेखा के नीचे अगर कोई नही रहेगा तो ,
हमारा देश विदेशो से अरबो खरबों का कर्ज कैसे ले पायेगा !
मेरे देश का नेता अपनी तोंद कैसे बडायेगा !

अतः हम आपकी खातिर गरीबी रेखा के नीचे है !
बासी दाल सुखी रोटी खाकर काली रात में तंग बस्ती में रहकर भी जिन्दा है !
आप हमारे चक्कर में मत पड़े वरना एक मिनिट में सारा नशा उतर जाएगा !
सुबह से शाम तक दो सुखी रोटी खाकर मजदूरी करोगी तो ,
थकान में दिमाग आसमान में पहुँच जाएगा !
और दिल हाथ में आ जाएगा !

आप हमारे साहेब हो हम आपके नौकर ,
आप जमीदार सेठ साहूकार मालिक मुखिया पटेल ,
हमारे माई बाप हो !
ये झुग्गियाँ नही होगी तो आपके महल कौन बनाएगा !
और गर सब नेता होंगे तो जनता कौन होगा !
और आप जब आकाश मार्ग से विमान में उड़ते हुए ,
भाषण देने के लिए किसी गाँव में उतरेंगे तो ,
आपके भाषण सुनने कौन आयेगा !
विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जो भी आपको बनना है !
चाहे काबिल हो न हो ,
आपको इस पद तक पहुचाने के लिए ,
रुपयों के लालच में फंस कर आपको विजय श्री दिलवाने ,
के लिए वोट डालने कौन आएगा !

इसलिए हमें गरीबी रेखा के नीचे ही रहने दीजिये !
आप हमारा चक्कर छोड़े ,
ये आपके हुस्न के डोरे किसी गरीबी रेखा के ऊपर रहने वाले ,
नौजवान पर डाले !
आप भी धन्य हो जाओगे वो भी धन्य हो जाएगा !
जिंदगी मौज मस्ती से गुजरेगी जीवन भर साँथ निभाएगा !
हमारे साँथ आओगी तो फांके पड़ जायेंगे !
३६५ दिन में दो बार खाना कभी कभी ही मिल पायेगा !
भर जवानी में हुस्न ढल जाएगा बदहाली मूफ़लिसी ,
गरीबी में एक झोपडी में ही रहते रहते जीवन गुजर जाएगा !
शायद जिंदगी के बीच सफर में ही आपको जो अभी दिख रहा हूँ ,
चार कंधो पे चढ़ कर शमशान चला जाऊँ !
और वापस लौट कर कभी नही आऊँ ,
और जवानी में ही आपको बेवा कर जाऊँ !!

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