Thursday, November 20, 2008

वंदना

ओ धरती माँ तुझ को शत शत वंदन ,
तुझको कोटि कोटि नमन वंदे मातरम ! -२
वंदे मातरम - ३ भारत माँ !

तेरे माटी पानी मिलकर तेरा कण कण उगले सोना ,
तेरी हरी भरी ये फँसले तेरे लहलहाते खेत !
तेरे भरे हुए खलिहान धन धान्य से भरती माटी !
घर घर का कोना माटी उगले सोना !!

तेरा निर्मल जल पीकर ये जीवन हुआ निर्माण ,
तेरी शीतल मंद पवन देती जीवन को प्राण !
तेरी रज रज है प्यार तेरे हम पे बड़े उपकार !
हर दिन गाए तेरे गुणगान - धरती माँ !!

तेरी बसंत ऋतू जो आती डाली डाली कनक बोराई ,
झूमे झूमे हर अमराई कुह कुह कोयल छेड़े तान !
करते पिहू पिहू पपीहा गान !
तेरे स्वर्ण सजे उद्यान मीठे मीठे फलों की खान !!

तेरी भोर सुहानी होती किरणे बिखरे जहाँ मुस्कान ,
तितलियाँ फूल फूल मंडराती गुनगुन भौरे करते गान !
रंग बिरंगे पंख पखेरू उड़ते उड़ते नीले नीले आसमान !
देते खुशियों के पैगाम !!

तेरे पर्वत ऊँचे ऊँचे जिनके शिख छुए आसमान ,
झर झर झरने गीत सुनाये नदियाँ करति कल कल गान !
कराती म्रदुल म्रदुल जल पान !!

तेरे रंग भरे त्यौहार लाये खुशियों की बहार ,
दीवाली आती है हर साल बनते मीठे मीठे पकवान !
घर घर सजती दीपों की मॉल जगमग जगमग हर घर द्वार !
रोशन धरती से आसमान !!

होली आती है हर साल लाती रंगो की बहार ,
सारे रंग जाये एक रंग बजे ढोल मृदंग और साज !
नाचे संग संग दे दे ताल झूमे नाचे गाये राग !
गली गली में उड़ते रंग गुलाल मस्ती में नाचे आँगन आँगन !!

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