Thursday, November 20, 2008

रिश्तों की तलाश

कहीं ना कहीं तो रिश्तों में बनी हुई मिठास है !
इसलिए ही तो रिश्तों में बना हुआ विश्वास है !
वरना रिश्तों में बंधन से उठ जाता विश्वास है !
रिश्तों में प्राण फुकता प्यार है !!

रिश्तों की ताकत ही विश्वास है !
मीठी मीठी बोली और मधुर मधुर व्यवहार है !
रिश्तों में चलती साँस है !
कही ना कही तो इंसान में इंसानियत है !!

और प्यार मोहाबत की बात है !
तब ही तो दिल दिल के आस पास है !
दूर दूर से मिलने को आते है !
रिश्तो में कोई खुशबू ही ऐसी खास है !!

छल कपट ना चलता है रिश्तों में ,
वो रिश्ता ही क्या रिश्ता है जिसमे !
नफरत की चुभी फंस है ,
स्वार्थ से रिश्ते नही चलते है !!

झूठ जहाँ आ जाता है रिश्तों में बनती गांठ है !
एक बार टूट गयी डोर जो लाख जतन करो ,
जुड़ नही पाती है बंधती है उसमे गांठ है !
द्वेष इर्ष्या आ गयी रिश्तों में समझो दूध में पड़ गयी छाज है !
वो रिश्ता ही रिश्ता नही जिसमे पड़ी खटास है !!

रिश्ता ही वो रिश्ता है जिसमे प्रेम और अनुराग है !
रिश्तो के दो छोर सहयोग और सोहार्द है !
ख़ुद ही ख़ुद में खो गए है लोग ,
किसी को किसी की ना आस है !
इसलिए तो मधुर मधुर रिश्तों की ,
सब को ही आज तलाश है !!

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