Thursday, November 20, 2008

बेटीयाँ

अंधेरे में रौशनी और धुप है हमारी बेटीयाँ !
इश्वर का रूप है हमारी बेटीयाँ !
ममता की मूरत करुना की सूरत है हमारी बेटीयाँ !
किसी का प्यार किसी का दुलार है हमारी बेटीयाँ !

सभ्यता और धेर्य सहयोग सद्भाव है हमारी बेटीयाँ !
दुःख में सुख की खुशबू और बहार है हमारी बेटीयाँ !
खुशियाँ लेकर आती है और सब में बाँट देती है हमारी बेटीयाँ !
किसी की माँ किसी की बहिन किसी की पत्नी किसी की बेटी,
रिश्तो को बंधने वाली रेशमी डोर है हमारी बेटीयाँ !

जहाँ प्यार ही प्यार है अपार वो छोर है हमारी बेटीयाँ !
किसी का घर किसी की ग्रहस्ती किसी का संसार है हमारी बेटीयाँ !
इन्हे सुख दो तो जिंदगी भर साँथ निभाती है हमारी बेटीयाँ !
जिंदगी के सफर में हम सफर बनके आती है हमारी बेटीयाँ !
भटके को राह उलझन को सुलझन धूप में छाव है हमारी बेटीयाँ !

जड़ता में गति कुमति में मति चरित्र में सती है हमारी बेटीयाँ !
झूठ में सच्चाई भूल में सुधार नफरत में प्यार है हमारी बेटीयाँ !
पुरूष का जीवन आधार बन जाती है हमारी बेटीयाँ !
बेसहारा को सहारा अपंग को बैशाखी बन जाती है हमारी बेटीयाँ !

इन्हे अबला ना समझो ये सबला है !
इनके धेर्य की परीक्षा मत लो बुझी ना समझो ,
वरना जरुरत में अंगार बन सकती है हमारी बेटीयाँ !
ज्यादा न गुर्राओ इन पर जुल्म ना ढाओ ,
वरना मिटा सकती है तुम्हे ऐसी शक्ति है हमारी बेटीयाँ !

अपनी मनमर्जी ना चलाओ इन पे गुलाम ना बनाओ इन्हे ,
वरना आजादी की जंग में दुर्गा काली बन सकती है हमारी बेटीयाँ !
इन्हे ना सताओ वरना अभिशाप बन जायेगी हमारी बेटीयाँ !
गर सताई गयी ज्यादा तो काली का रूप धारण कर सकती है हमारी बेटीयाँ !

इनको पराई ना समझो किसी का घर बसाने की लिए ,
अपनों से दूर अंजानो में जाने के लिए खुशी खुशी तैयार है हमारी बेटीयाँ !
अपने माँ बाप को आजीवन नही भुला सकती है ,
ऐसी याददास्त रखती है हमारी बेटीयाँ !

वंदना

ओ धरती माँ तुझ को शत शत वंदन ,
तुझको कोटि कोटि नमन वंदे मातरम ! -२
वंदे मातरम - ३ भारत माँ !

तेरे माटी पानी मिलकर तेरा कण कण उगले सोना ,
तेरी हरी भरी ये फँसले तेरे लहलहाते खेत !
तेरे भरे हुए खलिहान धन धान्य से भरती माटी !
घर घर का कोना माटी उगले सोना !!

तेरा निर्मल जल पीकर ये जीवन हुआ निर्माण ,
तेरी शीतल मंद पवन देती जीवन को प्राण !
तेरी रज रज है प्यार तेरे हम पे बड़े उपकार !
हर दिन गाए तेरे गुणगान - धरती माँ !!

तेरी बसंत ऋतू जो आती डाली डाली कनक बोराई ,
झूमे झूमे हर अमराई कुह कुह कोयल छेड़े तान !
करते पिहू पिहू पपीहा गान !
तेरे स्वर्ण सजे उद्यान मीठे मीठे फलों की खान !!

तेरी भोर सुहानी होती किरणे बिखरे जहाँ मुस्कान ,
तितलियाँ फूल फूल मंडराती गुनगुन भौरे करते गान !
रंग बिरंगे पंख पखेरू उड़ते उड़ते नीले नीले आसमान !
देते खुशियों के पैगाम !!

तेरे पर्वत ऊँचे ऊँचे जिनके शिख छुए आसमान ,
झर झर झरने गीत सुनाये नदियाँ करति कल कल गान !
कराती म्रदुल म्रदुल जल पान !!

तेरे रंग भरे त्यौहार लाये खुशियों की बहार ,
दीवाली आती है हर साल बनते मीठे मीठे पकवान !
घर घर सजती दीपों की मॉल जगमग जगमग हर घर द्वार !
रोशन धरती से आसमान !!

होली आती है हर साल लाती रंगो की बहार ,
सारे रंग जाये एक रंग बजे ढोल मृदंग और साज !
नाचे संग संग दे दे ताल झूमे नाचे गाये राग !
गली गली में उड़ते रंग गुलाल मस्ती में नाचे आँगन आँगन !!

और बरबाद ना करो देश को

मेरे देश के नेता मत बांटो वोट में देश को !
और विदेशों के हाथों में बेचो ना मेरे देश को !
रख हाथ कटोरे भीक न मांगो गिरवी रखो ना देश को !
फ़िर से गुलामी की जंजीरे पहना देना ना मेरे देश को !!

भूना लिया बापू गाँधी को चर गये सारे देश को !
ख़त्म किया इंदरा राजीव को खा गए लालबहादुर को !
खून से लथ पथ माँ का अंचल कफ़न नही आजादी को !
वीर शहीदों की माटी में ही दफ़न किया कुर्बानी को !!

न्याय हुआ नीलम चौराहे और हलाल किया इंसानो को !
सत्ता पैसा और कुर्सी ने रोंदा राष्टृ निशान को !
सत्ता की छीना झपटी ने भुला दिया सम्मान को !
जात पात के बंधन में ना बांधो मेरे देश को !!

धर्म मजहब की आग में झोंको ना मेरे देश को !
जुलुस और जलसों में अपना शक्ति प्रदर्शन बंद करो !
खून खराबा नफरत को और हवा ना दो अब दंगो को !
कोठी बंगले एशो अराम के छोड़ो सब अधिकारों को !!

संत्री मंत्री और जंत्री की तोड़ो लम्बी कतारों को !
उद्घाटन चाटन बंद करो झूठे वादे नरो को !
तुम्हे मात्रभूमि की सौगंध है और बर्बाद ना करो देश को !
आश्वासन भाषण बंद करो रोजी रोटी दो मेरे देश को !!

तन पे लंगोटी तन ढकने को माँ बहिनों को चुनरिया दो !
जीने को हवा पिने को पानी छत हो रात बिताने को !
सुख चैन अमन से जिये आदमी हर सुबह नयी खुशियाँ दो !
गर जन क्राँति जाग उठी तो रोक सकोगे ना लोगों को !!

छिन जायेंगे कोठी बंगले तख्त ये शाम जश्नों की !
असली चहरे सामने होंगे नोचेंगे दोहरे मुखोटे को !
गद्दारों को देश बदर कर सबक सिखायेंगे मक्कारों को !
देश द्रोही का मूल मिटाकर ललकारेंगे घूस खोरों को !!

अमीर गरीब

गरीबे रेखा से ऊपर रहने वाली लड़की की नजर !
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लड़के से जा टकराई ,
लड़का घबराया लड़की मुस्कुराई !

लड़के ने अपने आप को संभाला और बड़ बडाया !
क्यो डोरे डाल रही हो हम पे जानेमन ,
क्या हमारे शरीर से दिल और खोपड़ी से मगज उड़ा दोगि !
हम आँहे भर भर कर मर जायेंगे आँखों में तुम्हारी तस्वीर लेकर ,
मगर तुम्हे न पाएंगे !
क्योकि तुम्हारे और हमारे बीच गरीबी की रेखा आजायेगी ,
तुम हमारी दुल्हन न बन पाओगी !

तुम दौलत की चकाचोंध में चकाचक हो हुस्न बेमिसाल रूप लाजवाब ,
जिधर देखो उधर तुम्हारे जलवे है खुशियाँ तुम्हारे चरण चूमती है !
क्या काया है संगमरमर सी क्या चहरा टमाटर से गाल ,
गुलमोहर से होंठ चिकनी चमड़ी गौरी काया आप के साथ है !
खुशियों के गाने मस्ती के तराने लोग आप के दीवाने !

लड़की: तुम भी इन्सान हो हम भी इन्सान है ,
फ़िर क्यो अंतर है आप में और हम में !

लड़का: क्यो की तुम दौलत के बीच रहती हो तिजोरी पे सर रख के सोती हो !
शानो सौकत वैभव आप के पास है कोठी बंगले गाड़ी आपके साथ है !
जब की हम फटेहाल फुटपाति दलित घ्रणित गंदे गाँवार हिन्दुस्तानी ,
हिंदुस्तान की गन्दी बस्ती में रहने वाले ,
मगर दिल हमारे पास भी है तन है मन है हम भी आदमी है !
हमारी भी भावनाए है हमारी भी इच्छाये है !
हमारी भी आंखे है नजर है हम भी डोरे डाल सकते है आप पे ,
हम भी चहरा सेवफल गाल गुलमोहर कर सकते है !
उजली काया चिकनी चमड़ी हसीन गोलमोल गोलगप्पा ,
हम भी हो सकते है !
फ़िर आपमें और हममे क्या अन्तर रह जाएगा ?

आपको कौन हसीन कहेगा ?
आप हम सब एक से हो जायेंगे कौन किसका मालिक कौन नौकर ,
कौन सेठ कौन साहूकार कौन कर्जदार!
कौन साहेब कौन अर्दली कौन गरीब और कौन अमीर कहलायेगा !
जब सभी गुलमोहर हो जायेंगे तो बुलबुल कौन कहलायेगा !
और कौन राजा और प्रजा रह जाएगा !
और गरीबी रेखा के नीचे अगर कोई नही रहेगा तो ,
हमारा देश विदेशो से अरबो खरबों का कर्ज कैसे ले पायेगा !
मेरे देश का नेता अपनी तोंद कैसे बडायेगा !

अतः हम आपकी खातिर गरीबी रेखा के नीचे है !
बासी दाल सुखी रोटी खाकर काली रात में तंग बस्ती में रहकर भी जिन्दा है !
आप हमारे चक्कर में मत पड़े वरना एक मिनिट में सारा नशा उतर जाएगा !
सुबह से शाम तक दो सुखी रोटी खाकर मजदूरी करोगी तो ,
थकान में दिमाग आसमान में पहुँच जाएगा !
और दिल हाथ में आ जाएगा !

आप हमारे साहेब हो हम आपके नौकर ,
आप जमीदार सेठ साहूकार मालिक मुखिया पटेल ,
हमारे माई बाप हो !
ये झुग्गियाँ नही होगी तो आपके महल कौन बनाएगा !
और गर सब नेता होंगे तो जनता कौन होगा !
और आप जब आकाश मार्ग से विमान में उड़ते हुए ,
भाषण देने के लिए किसी गाँव में उतरेंगे तो ,
आपके भाषण सुनने कौन आयेगा !
विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जो भी आपको बनना है !
चाहे काबिल हो न हो ,
आपको इस पद तक पहुचाने के लिए ,
रुपयों के लालच में फंस कर आपको विजय श्री दिलवाने ,
के लिए वोट डालने कौन आएगा !

इसलिए हमें गरीबी रेखा के नीचे ही रहने दीजिये !
आप हमारा चक्कर छोड़े ,
ये आपके हुस्न के डोरे किसी गरीबी रेखा के ऊपर रहने वाले ,
नौजवान पर डाले !
आप भी धन्य हो जाओगे वो भी धन्य हो जाएगा !
जिंदगी मौज मस्ती से गुजरेगी जीवन भर साँथ निभाएगा !
हमारे साँथ आओगी तो फांके पड़ जायेंगे !
३६५ दिन में दो बार खाना कभी कभी ही मिल पायेगा !
भर जवानी में हुस्न ढल जाएगा बदहाली मूफ़लिसी ,
गरीबी में एक झोपडी में ही रहते रहते जीवन गुजर जाएगा !
शायद जिंदगी के बीच सफर में ही आपको जो अभी दिख रहा हूँ ,
चार कंधो पे चढ़ कर शमशान चला जाऊँ !
और वापस लौट कर कभी नही आऊँ ,
और जवानी में ही आपको बेवा कर जाऊँ !!

मिलकर बदल दे ये हवा

ये कैसी चली है हवा सब कुछ ही बदला बदला हुआ !
आदमी आदमी को कुछ समझता नही रुपया पैसा ही सब कुछ हुआ !!

इंसानियत न जाने कहा खो गयी लहू लहू का ही दुश्मन हुआ !
नाम रिश्तो को देते है हम अपना ही अपना न हुआ !!

जिसको पाला पोसा बड़ा किया जो किया वो उम्मीद का घरोंदा ही बिखरा !
जो दिल का तो था हिस्सा मगर बुडी सांसो को उसने किनारे किया !!

हर तरफ़ नफरत की दीवारे खड़ी प्यार तो बस एक सपना हुआ !
मिलना जुलना तो होता मगर दिल से दिल का मिलन न हुआ !!

मतलब की बस यारी रही है दुःख दर्द का कोई न साथी हुआ !
जिनको गले से लगते है हम वो ही गले का फंदा हुआ !!

आओ मिलकर बदल दे हवा ये और प्यार का फूल खिलाये !
मतलब परस्त दिल से न हो वास्ता ना किसी को किसी से शिकवा गिला !!

जुलुस और पिता पुत्र

श्री गणेश विसर्जन के जुलुस में ,
मूंगफली के ठेले के सामने चार मित्रो के साँथ ,
मूंगफली चबाते हुए एक नवजवान पुत्र से ,
उसके पिता जा टकराए !
पिताजी चिलम में टुन्न थे पुत्र जी टनाटन बोतल बंद !

पिताजी ने जैसे ही पुत्र को पहिचाना ,
सर से पैर तक म प्र शाशन की बस की तरह भनभनाये !
और उसके रेडियेटर के पानी की तरह खद्खदाते हुए उबल पड़े !
और भन भनाते हुए बड़ बडाये !
क्यो तुझे ना तेरे सम्मान की चिंता है न मेरे सम्मान की ,
जो खुलेआम शराब पीकर आवारा गर्दी करता है !

सम्मानीय पिताजी मैने तो छुपकर पी थी !
आपको कैसे दिख गयी , खुलेआम तो आपने कर दी !

तुझे थोड़ी बहुत शर्म भी आती है बेशर्म !

शर्म तो आती है पिताजी इस लिए ही तो पी है !
ताकि बेशर्म हो जाए जी में आए वो कर पाए !
मौज मस्ती मनाये इंजॉय माय फादर एन्जॉय !!

अरे पिताजी आप ही शरमा जाते !
चुप चाप मेरे बाजु से निकल जाते !
मुझे नजरअंदाज कर जाते !

अरे मुर्ख मेरा तो शर्म से माथा झुका जा रहा है !
तुझे पैदा करके ही पछता रहा हूँ !
बेवकूफ निकम्मे शराब भी कोई पीने की चीज है !!

आदरणीय पिताजी में आपके लायक नही था तो मुझे इस जमीन पे क्यो लाये ?
और शराब पीने के लिए नही है तो हमारी सरकार ने ,
शहर शहर गाँव गाँव गली मोह्हले में शराबखाने क्यो खुलवाये ?

अरे उल्लू मुह्जोरी करता है न पड़ता लिखता है आवारा गर्दी !
दो साल में पाचवी तीन साल में आठवी ,
दो साल से दसवी में फेल हो रहा है क्या पंचवर्षीय योजना बनाएगा ?
लगता है इस साल तो पास नही हो पायेगा !

पिताजी में इस मामले में सरकार की मदद कर रहा हूँ !
अगर में हर वर्ष पास हो गया होता तो में भी पोस्ट ग्रेजवेट ,
बेरोजगार होता और सरकार की चिंता बड़ जाती !
एक बेरोजगार को रोजगार देने की ,
बेरोजगारों की पंगती में एक संख्या और बड़ जाती !
और कोई आप से पूछे आपका लाडला क्या कर रहा है !
तो आप बड़े गर्व से कह सकते है मेरे लड़का अभी पड़ रहा है !

अरे मेरे कुल के लाल तुझे कब समझ आएगी !
तेरे उमर के लड़को की शादी हो गयी है !
तेरी शादी हो जाती घर में बहु होती गोद में लड़का ,
तेरी जगह वो पड़ता !

पिताजी जब हम न पड़ेंगे न पास होंगे न आगे बढेंगे ,
न हमारा कोई रोजगार होगा और ना शादी होगी !
न बेटा इसलिये पिताजी उस बेटे की जगह इस बेटे को पढाये !
और वैसे भी देश की जनसँख्या एक अरब से ऊपर हो गयी है !
अतः जनसँख्या वृधि न होने में मुझे देश की मदद करने दो !
श्री अटल जो को देखिये अकेले ही अकेले आगे न पीछे ,
मुझे भी अटल जी की तरह रहने दीजिये !
देश की कुछ जिम्मेदारी मुझे भी उठाने दीजिये !
ये शादी का चक्कर छोड़ो ये फंदा मेरे गले मत डालिए !
मेरे गले को स्वतन्त्र रहने दीजिये !

पत्नी की परतंत्रता की बेडीयो में जकड़ने से मुझे बचे रहने दीजिये !
और आप भी अपने आप को दहेज़ लोभियों की सूचि में जाने से बचाए रखिये !
और माँ को सास के खलनायीका के रोल में जाने से बचाइए!
माँ को माँ रहने दीजिये !

बहु जलाने के मामले में फसने से माँ के साथ साथ ख़ुद भी बचे रहिये !
न सास होगी न बहु न ससुर न झगड़े होंगे !
और न रोज रोज के घर में लफड़े,
और न माँ बाप बहु बेटे के अलग अलग चुल्हे ,
माँ को आजीवन माँ ही रहने दीजिये !
पिताजी आप पिता ही रहिये और मुझे किसी के बाप की बजाये ,
आप का बेटा ही रहने दीजिये !
हम आजीवन साथ रहेंगे कभी न बिछडेँगे ,
अपने घर को बटवारे से बचाइए !

मेरी शादी की तरफ़ से बेफिक्र हो जाइये !
२५० ग्राम गरमा गरम मूंगफली ले जाइये !
माँ और आप घर पर साथ बैठकर खाना ,
और जब नींद आ जाए सो जाना !
जुलुस में बड़ा गरमा गर्म मसाला है बहुत मौज मस्ती ,
आपके गतिरोध की लाल झंडी हटाइए !
आपका जुलुस घर की तरफ ले जाइये ,
हमारे जुलुस को आगे बड़ने के लिए हरी झंडी दिखाइए !

यही जिंदगी है

अपनी धरती अपना अम्बर ये सारी जमी ही अपनी है !
जहाँ रहो आबाद रहो खुश रहो खुशियाँ बाँटो यही जिंदगी है !!

जैसा सोचोगे वैसा पाओगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे !
जैसी करनी वैसी भरनी यही जिंदगी है !!

जो मिल गया है उसे सहेजो जो खो गया उसे जाने दो !
खोने का गम मिलने की खुशी ये आनी जानी है यही जिंदगी है !!

फूल के संग कांटे भी है धुप के संग संग छाँव भी है !
सुख दुःख एक सिक्के के पहलु जिंदगी एक पहेली है !!

पल में आशा पल में निराशा आँखों में अश्क तो होटों पे मुस्कान !
हर पल बस मुस्कुराते रहो हंसो और हँसाते रहो यही जिंदगी है !!

कल होना हो कल का ना भरोसा आज अभी जो होना होगा हो जाने दो !
बीत गया वो ही पल अपना उम्र की यही तो गिनती है यही जिंदगी है !!

संभल संभल के

ये जिंदगी है कांच सी कही चटक ना जाए रे !
संभल संभल के मनवा संभल के रहना रे !
कही चटक चटक के बिखर ना जाए रे !
एक बार बिखर गयी तो ये जुड़ नही पाए रे !!

ये जिंदगी एक भूल भुलैया है ये जिंदगी एक भूल भुलैया ,
इस भूल भुलैया में रह काही भटक ना जाए रे !
संभल संभल के संभल मनवा राह संभल के चुन रे !
ऐसी राह चलना रे जो मंजिल तक ले जाए रे !!

ये जिंदगी एक हवा का झोंका है रुख बदल ना जाए रे !
संभल संभल के संभल के मनवा तू बस एक घाँस का तिनका ,
ये कही उड़ा ना ले जाए जमी पकड़ के रहना रे !
ये झोंका कहाँ से कहाँ ले जाए रे !!

ये जिंदगी एक गम का दरिया है सुख के मोती भी मिलते है !
एक बार जो मिल गए ये जिंदगी खुशियों से भर जाए रे ,
संभल संभल के संभल के मनवा डुबकी संभल के लगा !
ये जिंदगी कही गम में ना डूब जाए रे !!

ये जिंदगी एक पानी का बुलबुला ये जाने कब खत्म हो जाए !
संभल संभल के संभल के मनवा पल का ना भरोसा ,
एक एक धड़कन का भी वहाँ हिसाब रहता है !
ये धड़कन जब तक चले सभी से मिलकर रहना रे !!

रिश्तों की तलाश

कहीं ना कहीं तो रिश्तों में बनी हुई मिठास है !
इसलिए ही तो रिश्तों में बना हुआ विश्वास है !
वरना रिश्तों में बंधन से उठ जाता विश्वास है !
रिश्तों में प्राण फुकता प्यार है !!

रिश्तों की ताकत ही विश्वास है !
मीठी मीठी बोली और मधुर मधुर व्यवहार है !
रिश्तों में चलती साँस है !
कही ना कही तो इंसान में इंसानियत है !!

और प्यार मोहाबत की बात है !
तब ही तो दिल दिल के आस पास है !
दूर दूर से मिलने को आते है !
रिश्तो में कोई खुशबू ही ऐसी खास है !!

छल कपट ना चलता है रिश्तों में ,
वो रिश्ता ही क्या रिश्ता है जिसमे !
नफरत की चुभी फंस है ,
स्वार्थ से रिश्ते नही चलते है !!

झूठ जहाँ आ जाता है रिश्तों में बनती गांठ है !
एक बार टूट गयी डोर जो लाख जतन करो ,
जुड़ नही पाती है बंधती है उसमे गांठ है !
द्वेष इर्ष्या आ गयी रिश्तों में समझो दूध में पड़ गयी छाज है !
वो रिश्ता ही रिश्ता नही जिसमे पड़ी खटास है !!

रिश्ता ही वो रिश्ता है जिसमे प्रेम और अनुराग है !
रिश्तो के दो छोर सहयोग और सोहार्द है !
ख़ुद ही ख़ुद में खो गए है लोग ,
किसी को किसी की ना आस है !
इसलिए तो मधुर मधुर रिश्तों की ,
सब को ही आज तलाश है !!

फ़िर कोयल कुह कुह कुह्केगी

हम बदलेंगे सब कुछ बदलेगा नयी बहार बहायेंगे !
नया साज ले नयी राग ले कोई नया तराना गायेंगे !
नया जोश ले नया रूप ले भारत नया बनायेंगे !
हर तरफ़ खुशहाली की खुशबू हम बिखराएंगे !!

अपने ऋम मेहनत से हम बंजर को खेत बनायेंगे !
अपने खून पसीने से सिचेंगे खेत जहाँ लहलहाएंगे !
इस धरती के बेटे है हम इस धरती को स्वर्ग बनायेंगे !
कोई रहेगा अब ना भूखा इतना अन्न उगायेंगे !!

बूंद बूंद जल संग्रह करके कल कल धार बहायेंगे !
सुखे ताल तलैया नदिया फ़िर जल से भर जायेंगे !
हर तरफ़ हरियाली होगी इतने वृक्ष उगायेंगे !
कोई रहेगा आब ना प्यासा सबकी प्यास बुझाएंगे !!

फ़िर कोयल कुह कुह कुह्केगी मोर नाच दिखायेंगे !
डाल डाल पर पंछी चहकेंगे जंगल में मंगल होगा !
बुल बुल चिडियाँ तोता मैना फ़िर से शोर मचाएंगे !
नीले नीले नील गगन पर उड़ उड़ रंग बिखराएंगे !!

आपस में सब भेद भुला के संगठन शक्ति बनायेंगे !
विश्व बंधू भावना दिल में जगाकर हम परचम फहराएंगे !
विध्वंशो की राह छोड़कर सर्जन ही अपनाएंगे !
शान्ति अहिंसा के मूलमंत्र को जन जन तक पहुचायेंगे !!

शिक्षा का संदेश ले हम घर घर तक जन जनता पहुचायेंगे !
कोई रहेगा ना अनपडृ निर्धन ऐसा जतन लगायेंगे !
सबका अपनी हो जमी असमा कोई ऐसा न्याय बनायेंगे !
राष्ट्र भक्ति और देश प्रेम से ओत प्रोत हो वतन पे मर मिट जायेंगे !!

गुजरे जो दौर गम के

पतझर सी जिंदगी है राहे है सूनी सूनी !
खुशियाँ दूर हमसे जैसे डाली से दूर पाती !!

बिखरा है रंग गुलाबी डाली है खाली खाली !
पतझर का पलाश हूँ में जिंदगी है खाली खाली !!

दिवानो की तरह राहे दर दर भटक रहे है !
परवानो की तरह शमा में रह रह के जल रहे है !!

तनहाईयों में कटती राते करवटे बदल बदल कर !
रह रह के आंहे भरते तकिया मसल मसल कर !!

तनहा ये जिंदगी है जमाना भी बेरहम है !
मोहब्बत को मार डाला रस्मो की दे कसम है !!

दिल में है जख्म गहरे आँखों में बस उदासी !
साहिल पे हम खड़े है हर चाहत रही है प्यासी !!

खाली पैमाने की तरह लुडकते जिंदगी मय खाने सी हो गयी है !
कैसे भुलाये गम को पास मय नही ना साकी है !!

स्याही में दिल डूबा है हाथो में बस कलम है !
कैसे लिख दे गीत खुशियाँ जब गुजरे जो दौर गम के !!

चलना तेज है

तेज है रफ्तार ज़माने की ,
चलना तेज है चलना तेज है !
एक कदम आगे एक कदम आगे ,
संभल के हर एक कदम चलना तेज है !

मुश्किलें आयेंगी राहों में मुश्किलें,
मुश्किलें करना है आसान चलना तेज है !
चलना तेज हर एक कदम चलना तेज है !!

तुफाँ रोकेंगे राहे सीना तान के ,
रुख बदलना है तुफाँ का चलना तेज है !
संभल के हर एक कदम चलना तेज है !!

मौत मिलेगी कदम कदम पे मौत है !
मौत से भी लड़ना होगा चलना तेज है !
एक कदम आगे संभल के कदम चलना तेज है !!

पर्वत आयेंगे राहे रोकेंगे ,
राहे गाड़ना है चट्टाने तोड़ के चलना तेज है !
एक कदम आगे संभल के एक कदम आगे चलना तेज है !!

हौसले देना है कदमो को हौसले ,
हौसले देंगे मन विश्वास चलना तेज है !!

प्यार की खुशबू

नफरत से नफरत बड़ती है ,
नफरत ख़त्म होना चाहिए !
हम आदमी है आदमी को ,
आदमी से बस प्यार होना चाहिए !

जिस दिल में गर प्यार नही ,
वो पत्थर है इंसान नही !
पत्थर को पिघलादे ,
ऐसा प्यार दिल में चाहिए !

नफरत काटो प्यार बांटो ,
जिससे मिलो दिल से मिलना चाहिए !
नफरत के शुलो को ,
अपने दिल से हटाना चाहिए !

गर जिंदगी में प्यार हो तो जिंदगी का है मजा ,
जिंदगी में प्यार नही तो जिंदगी एक सजा !
जिंदगी में चाहते हो खुशियाँ ही खुशियाँ ,
जिंदगी को प्यार की खुशबू से सजाना चाहिए !

इक्कीसवी सदी आ गयी है

किसी को किसीसे मोहब्बत नही है !
किसी को किसी की चाहत नही है !
रिश्तो में कैसी दरार आ गयी है !
शायद दिलो से मोहब्बत फरार हो गयी है !!

मतलब की दुनिया में नफरत पली है !
होठो पे मीठी बाते मगर दिल में छुरी है !
किसपे कैसे कैसा भरोसा करे हम ,
भरोसे के पीछे दगा जो छिपी है !
दोहरे चहरे की तरकीब सभी को रास आ गयी है !!

सच्चाई कही पे दफ़न हो गयी है !
झूठ पे देखो चमक छा रही है !
मर्यादा सारी बदल सी गयी है !
टी वी पे नग्नता की बहार छा रही है!!

बुडी पीड़ी को देखो यारों चने चबा रही है !
युवा पीड़ी को देखो नशे में डूबी जा रही है !
किसी को किसीपे रहम ही नही है !
लगता है साडी दुनिया ही बेरहम हो गयी है!!

सत्ता के लिए देखो यहाँ वहा जंगे छिडी है !
बारूदी इरादे लिए दुनिया आमने सामने आ खड़ी है !
भौतिकता की दौड़ में ये दुनिया ना जाने कहा जा रही है !
नैतिकता के हुए पतन में इक्कीसवी सदी आ गयी है !!

चलने से मंजिल मिलेगी

जिंदगी के इस सफर में चल चला चल चल !
ओ मुशाफिर चल चल चला चल!
चलने से ही तुझे मंजिल मिलेगी!
मंजिल ख़ुद चल कर नही आती ,
ख़ुद को चलकर ही जाना है!

थक के गर तू रुक गया तो ,
कैसे राह कटेगी!
कैसे बडेगा सफर ये आगे ,
कैसे मंजिल मिलेगी !

मुश्किलों में भी राह मिलती है ,
कभी राह नही थमती है !
थम जाता है मुसाफिर पर,
वक्त घड़ीया नही थमती है !

धुप धुप नही है जिंदगी में ,
कही ना कही तो छाव में दोपहर भी मिलेगी!
शाम ही शाम नही है जिंदगी में ,
हर शाम को भोर भी मिलती है!

हमें बस

दर्दे दिल की हमे बस दवा चाहिए ,ए खुदा तेरी बस दुआ चाहिए !!
मर्ज ऐसा है क्या करे बंया , उस के घर का बस हमें पता चाहिए !!

बेरुखी ही उसकी मार के गयी , उनकी हमें बस वफ़ा चाहिए !!
जो खो गया है बस मिलजाए हमें , ना और किसी से नफा चाहिए !!

यूँ जी न सकेंगे तन्हाइयो मै हम , उसकी मोहब्बत की हवा चाहिए !!
क्यों मिल रही है हम को तन्हाई की सजा , जो ना हुआ वो नामे गुनाह चाहिए !!

देश भक्तो का शायद टोटा हो गया

रक्षक ही भक्षक हो गए तो कैसे देश बचेगा !
लोकतंत्र शातीरो की रखेल हो गया ऐसे कैसे देश चलेगा !
भ्रष्टाचार में यारा अफसर नेता जनता क्या !
सारा देश ही डूब गया सारा देश ही डूब गया !

जिनसे पूछो यही कहता है भगवान् भरोसे छोड़ो !
ऐसे ही चलेगा ऐसे ही देश चलेगा !!
सिधांत संविधान रख दिए है ताक में !
और होते है घोटाले यहाँ बात बात में !
चोर चोर मौसेरे भाई इनसा मिले सिपाही कोन किसको ,
पकड़े गए अपने अपने मन का जहाँ कानून चल गया!

बस बाते है सेवा की चरित्र भ्रष्ट हो गया !
दौलत के बाजार में ईमान आदमी नीलाम हो गया !
किस किस को हम कैसे पहचाने कोन कोन बईमान हो गया !
जब चहरे पर ईमान लिखा हो दिल दिल बेईमान हो गया!!

ये बन्दर से इंसान बना था वापस बन्दर हो गया !
हरकत इनकी सांप छचुन्दर गिरगिट जैसे रंग बदलता ,
बिछुओ का डंक हो गया सच को इसने बेच दिया !
ये झूठ का गुलाम हो गया झूठ का गुलाम हो गया !

जहाँ देखो वहा लुच्चे लफंगों की तूती है !
आम आदमी यहाँ पर बस गुठली रह गया !
गली गली में चोर उचक्के हो गए छुट भइया नेता ,
गाँव गाँव राजनीती की मचान हो गए!

प्रतिनिधि यहाँ बिक जाते है बाजारों में ,
सत्ता के खातिर अपनाते हथकंडे हथियार है !
हर तरफ़ दलाली है दलालों का बोल बाला हो गया है !
लगता मेरे देश का हर नेता अब दलाल हो गया !!

धर्म पंथ के झंडे थामे राजनीती के पंडो ने !
डाकू तस्कर मंत्री हो गए माहिर है हथकंडो में !
किन को में अब जनता कह दू हर आदमी यहाँ नेता हो गया !
शहीदों के इस देश में देशभक्ति का शायद टोटा हो गया !!

तहलका के तहलके में मेरा प्यारा देश राम कृष्ण ,
का ये देश नानक गोविन्द का ये देश ,
गौतम गाँधी का ये देश लाल पाल तिलक का देश,
शीवा राणा का ये देश भगत बोस का ये देश,
शेखर बिस्मिल का ये देश सारे जहाँ में बदनाम हो गया !
सत्ता के मदमास्तो का चमड़ा हो गया मोटा,
दिमाग आसमान हो गया!!

जिंदगी है कागज़ की नाव

जिंदगी है नाव संसार की नदियाँ में बहती जाए रे !
कभी साहिल पे तो कभी साहिल से दूर ,
लहरों के बीच बीच बहती जाए रे !

तुझे जाना है दूर और दूर तेरा गाँव है !
ये जिंदगी कागज की नाव है ,
इसे हौले हौले संभाल इससे थाम थाम रे ,
प्रीत की डोरी से बाँध बाँध रे !

इसका तू ही खिवैया इसकी तू ही पतवार है ,
प्रियतम को बनाले बादवान रे !

रुख हवाओ का बलदे ऐसे आए तूफान है ,
झूठ मोहमाया की पल्लारो में उठाते उफान है !
सच को पहिचान सच की ताकत को जान ,
सच को बनाले बादवान रे !

चल कपट के मगर सूंस लहरों के बीच,
लहरों के बीच बीच नफरत की बनती भवरे है!
अपने हौसलों को जान अपनी ताकत पहचान ,
उम्मीदों को बनाले बादवान रे!

कभी आती है गम की भी लहरे लहरे,
संग संग लहरों की कल कल में खुशियों के गान है !
अपनी खुशियाँ पहिचान उनकी ताकत को जान ,
खुशियों को बनाले बादवान रे !

देश भक्ति की बात नही

गाँधी तेरी कसमे बेचीं बेच दिया ईमान यहाँ!
गाँधी तेरे अनुयायी हुए सबके सब बईमान यहाँ !!
सत्ता के खातिर इनने तो सत्य अहिंसा छोड़ दिया !
वीर शहीदों के सपनो को धुंआँ बना कर उड़ा दिया !!

उग्रवाद के दावा नल से भारत माता घायल है !
भीगा भीगा अंचल है और जख्मी जखमी पायल है !!
उजड़े उजड़े घर आँगन है सिसकारी में साँझ ढली!
और आंसू पीड़ा जहाँ में है रोज लहू ले भोर चली!!

तुष्टिकरण की परिपाटी ने उग्रवाद को पला है !
वोट बैंक की खातिर अपना देश धर्म बेच डाला है!!
सत्ता के ठेकेदारों ने जातिवाद का चलन लाये है !
अपनी अपनी ढपली बजाते अपने अपने राग अपनाए है !!

राजनीती के पंडो ने सारे देश को ही चट कर डाला है !
नामी गिरामी गुंडों को इनने ही मिल कर पला है !!
वीर शहीदों की कुर्बानी को इनने खूब भुनाया है !
अपने अपने स्वार्थ सिद्धि में सत्ता को ढाल बनाया है !!

नारेबाजी हंगामो ने संसद को सड़क बनाया है !
देश के कर्णधारो ने ही संसद का सम्मान गिराया है !!
जिनके आचार विचार नही कुछ उनने संसद में आसन पाया है !
आपस की धेंगा मस्ती ने संसद को अखाड़ा बनाया है !!

मक्कारी की होड़ मची है और देश भक्ति की बात नही !
आजादी अंग भंग हुई और लोकतंत्र की टांग नही !!
संविधान पर होता हमला हो जाती है मौत कही !
न्याय पालिका तो है लेकिन सत्य झूठ की खोज नही !!

बिखराव के चले चलन में आओ जोड़ने का कुछ जतन करे!
विधवंश की राह छोड़कर आओ मिलकर सर्जन करे!!
परिवर्तन के इस युग में आओ राष्ट्र चरित्र निर्माण करे !
प्रगति की राह पर बड़कर राष्ट्र का नव निर्माण करे!!

मेरा भारत है महान

हम स्वतन्त्र है मगर मन्त्र आजादी के भूले हम !
आजादी लहुलुहान कुर्बानी भूले हम !!
संविधान ने तोडा़ दम बिखरे तिरंगे के रंग !
अब अनेकता में एकता का रहा नही सम !!

कश्मीर की वादियों में बिखरा है गम !
केशर की क्यारियों में उगे बेशरम !!
भँवरो ने कलियों पे ढाया है सितम !
मालियों ने मिलके उजाड़ा है चमन !!

गणतंत्र टुकड़े टुकड़े तार तार हुए हम !
वोटो वोटो की दीवारों में बट गए हम !!
आरक्षण की जंजीरों में बँध गए हम !
अपनों ही अपनों में खो गए है हम !!
देश देश खो गया है बस यही गम !

राजनीती हुई घिनोनी नेता हुए बेशरम !
जोड़ तोड़ दल बदल का चलाया है चलन !!
इन्हे सत्ता कुर्सी चाहिए चाहे बिक जाए चमन !
बागड़ खेत को ही खा रही है देखो ये सितम !!

कर्णधार हुए बईमान तंत्र हुआ बेलगाम !
खाते घूस दलाली भ्रष्टाचार खुलेआम !!
टूटी राष्ट्र की कमान देश भक्ति गुमनाम !
नरो नरो में ही रह गया भारत है महान !!

सारे बगल कोवे मिल हो गए है हंस !
यहाँ आदमी बदलते है गिरगट जैसे रंग !!
काले नागो जैसे फन बाते बिछुओ की डंक !
कथनी करनी को देखे तो रह जाए दंग!!

रिमझिम रिमझिम बरसे ना सावन !
मंद मंद भीनी चले ना पवन !!
सावन भादो बदले बदले मौसम के रंग!
शायद पानी और हवा में घुल गयी भंग !!

अब भी जागो वक्त है बिखर जाएगा वतन !
अब बचाना है आपने ही लोगो की गुलामी से वतन !!
आओ एक हो जाए जिनमे थोडी बची देश भक्ति की तपन !
ललकारे उनको जिनने छीना देश का सुख चैन अमन !!

Wednesday, November 19, 2008

ये जिंदगी क्या है

अंधेरो में भटका हुआ है हम !
कही कोई रौशनी तो मिले हमें !
जो अंधेरो से निकाले हमें !
ये जिंदगी क्या है ये बतादे हमें !

ये जिंदगी एक ख्वाब सी लगती है ,
हर तरफ़ वीरानी सी नजर आती है हमें !
बहारों को ना जाने क्या हो गया है ,
खुशबू भी गुमसुम सी नजर आती है हमें!

हम चौराहे पर आ खड़े है ,
ये जिंदगी बाजार नजर आती है हमें !
हर तरह दौलत के लुटेरे है यहाँ ,
ये जिंदगी तार तार नजर आती है हमें!

इंसानियत बम के धमाको में गुम है ,
हर तरफ़ हैवानियत नजर आती है हमें !
दिलो में शोले धधकते हुए है ,
हर आँखों में आग सी नजर आती है हमें!

यहाँ आदमी की औकात ही क्या है ,
बस चलती फिरती लाश नजर आती है हमें !

हम प्रगति कर रहे है

झूठ महंगाई की तरह फूल फल रही है!
और बड़ रही है आसमान छु रही है !
सच्चाई जमीन में गड़ गयी है !
ईमान यह देखकर अपना अस्तित्व बचने के लिए ,
यहाँ वहाँ छुपता फ़िर रहा है !

बईमानी हर आदमी को अपने आगोश में भर रही है !
द्वेष इर्श्या की बड़ती हुई सफलता को देख कर ,
दया करुणा अपनी असफलता पे व्यथित होकर ,
सूली पर चढ़ गयी है !
भ्रष्टाचार का कारोबार दिन दुगना रात चोगुना ,
फल फूल रहा है जिनसे कई की दूकान चल गयी है !

बदले नफरत की फसल तो गाँव गाँव शहर शहर !
आदमी की ह्रदय स्थली पर राजनीती का खाद पानी ,
पाकर गाजर घांस की तरह फल फूल रही है !
प्यार उपकार की फसल को उगने के लिए और पनपने के लिए ,
जमीन ही ना रह गयी है !

अकर्मंयता ने चापलूसी का मुखोटा लगा रखा है!
इस लिए कर्तब्यनिष्ठ के आईने पर ,
अंदेखी की धूल चढ़ गयी है !
अशलील और अशब्द स्वार्थ की कड़वी ,
चासनी में घुल कर जुबा पर ऐसे चिपक गए की ,
वाणी की मधुरता ही मर गयी है !

फ़िर भी यह दुनिया प्रगति कर रही है !
में नही यह सारी दुनिया कर रही है !
लगता है ये दुनिया भगवान् भरोसे ही चल रही है !

इंतजार जरी है

उनके इंतजार में चाँद तारे भी जागे !
जाग जाग कर जब सुबह हुई तो , सूरज से कह गए !
कहीं वो मिले तो उंनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

नदियों की लहरे आ किनारों पे ठहरी कस्तियाँ से अपने अपने साहिल को साधे !
सुबह जब हुई तो बहते धारों से कह गए !
कही वो मिले तो उनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

उड़ उड़ के पंछी अपने अपने घरोंदो में आए !
खुशबू और बहारों ने अपने डेरे बागों में लगाये !
सुबह जब हुई तो खिलते फूलों से कह गए!
कही वो यहाँ बागों में आए उनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

पूजा नमाज इश वंदना और होती अरदास !
मालिक से अपने अपने उनके लिए ही मांगे दुआए!
सुबह जब हुई तो आरती अजाने बहती हवओं से कह गयी!
कही वो मिले तो उंनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

साँझ ढली तो अंधेरे घिर आए माँओ ने घर अपने दीप जलाये !
सुबह जब हुई तो रंभाती गाए अपने बछडोँ से कह गयी !
यहाँ आए वो तो उंनसे ये कहना साँझ ढले हमसे आकर तो मिलना !!

आजादी के बाद कितनी ही सुबह हुई साँझ ढली कितनी !
मगर वो ना आए जिनका इंतजार था मगर वो ना आए जिनका इंतजार था !
वो कोई और नही है मेरे वतन की खुशी अमन चैन है वो !
जिनके इंतजार में हम तुम भी जागे !
जिनके इंतजार में अनेको शहीदों के सज गए जनाजे !!

Sunday, November 2, 2008

बेटो निकल गयो कुपाडू

ओ गप्पू जणू में तेरे बारे में सब कुछ जाणू !
तेरे क्या क्या कारनामे है मैकू एक एक मालूम !!

तू रोज सवेरे उठाकर सारे घर की लगता है झाडू !
बीबी सोई रहती है गर उसकी नींद में खलल पड़ जाए तो ,
ओ गप्पू जोरू वो तेरी ही लगा देती है झाडू !

रोज सुबह की चाय तू ही बनता है बीबी को बेड टी पिलवाता है !
गर चाय में चीनी कम हो जाए तो बीबी की डांट भी खाता है !
गर बीबी रूठ जाए तो गरमा गरम नाश्ता बनाकर खिलाता है !
बीबी के इशारो पे नाचता है उसकी एक आवाज में काँपता है !!
ओ बीबी के पालतू भालू !

घुस दलाली खता है अपना मॉल बनता है बीबी को साडिया दिलवाता है !
घर में सासुमा आ जाए तो रोज रोज पकवान बनवाता है !
गाँव में रह रही बुडी माँ को एक भी साडी नही लाता है !
माँ बोले मेरा बेटा निकल गयो कुपाडू जोरू को भाडू !!