ये कैसी चली है हवा सब कुछ ही बदला बदला हुआ !
आदमी आदमी को कुछ समझता नही रुपया पैसा ही सब कुछ हुआ !!
इंसानियत न जाने कहा खो गयी लहू लहू का ही दुश्मन हुआ !
नाम रिश्तो को देते है हम अपना ही अपना न हुआ !!
जिसको पाला पोसा बड़ा किया जो किया वो उम्मीद का घरोंदा ही बिखरा !
जो दिल का तो था हिस्सा मगर बुडी सांसो को उसने किनारे किया !!
हर तरफ़ नफरत की दीवारे खड़ी प्यार तो बस एक सपना हुआ !
मिलना जुलना तो होता मगर दिल से दिल का मिलन न हुआ !!
मतलब की बस यारी रही है दुःख दर्द का कोई न साथी हुआ !
जिनको गले से लगते है हम वो ही गले का फंदा हुआ !!
आओ मिलकर बदल दे हवा ये और प्यार का फूल खिलाये !
मतलब परस्त दिल से न हो वास्ता ना किसी को किसी से शिकवा गिला !!
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