Thursday, November 20, 2008

और बरबाद ना करो देश को

मेरे देश के नेता मत बांटो वोट में देश को !
और विदेशों के हाथों में बेचो ना मेरे देश को !
रख हाथ कटोरे भीक न मांगो गिरवी रखो ना देश को !
फ़िर से गुलामी की जंजीरे पहना देना ना मेरे देश को !!

भूना लिया बापू गाँधी को चर गये सारे देश को !
ख़त्म किया इंदरा राजीव को खा गए लालबहादुर को !
खून से लथ पथ माँ का अंचल कफ़न नही आजादी को !
वीर शहीदों की माटी में ही दफ़न किया कुर्बानी को !!

न्याय हुआ नीलम चौराहे और हलाल किया इंसानो को !
सत्ता पैसा और कुर्सी ने रोंदा राष्टृ निशान को !
सत्ता की छीना झपटी ने भुला दिया सम्मान को !
जात पात के बंधन में ना बांधो मेरे देश को !!

धर्म मजहब की आग में झोंको ना मेरे देश को !
जुलुस और जलसों में अपना शक्ति प्रदर्शन बंद करो !
खून खराबा नफरत को और हवा ना दो अब दंगो को !
कोठी बंगले एशो अराम के छोड़ो सब अधिकारों को !!

संत्री मंत्री और जंत्री की तोड़ो लम्बी कतारों को !
उद्घाटन चाटन बंद करो झूठे वादे नरो को !
तुम्हे मात्रभूमि की सौगंध है और बर्बाद ना करो देश को !
आश्वासन भाषण बंद करो रोजी रोटी दो मेरे देश को !!

तन पे लंगोटी तन ढकने को माँ बहिनों को चुनरिया दो !
जीने को हवा पिने को पानी छत हो रात बिताने को !
सुख चैन अमन से जिये आदमी हर सुबह नयी खुशियाँ दो !
गर जन क्राँति जाग उठी तो रोक सकोगे ना लोगों को !!

छिन जायेंगे कोठी बंगले तख्त ये शाम जश्नों की !
असली चहरे सामने होंगे नोचेंगे दोहरे मुखोटे को !
गद्दारों को देश बदर कर सबक सिखायेंगे मक्कारों को !
देश द्रोही का मूल मिटाकर ललकारेंगे घूस खोरों को !!

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