Monday, October 20, 2008

सरस्वती वन्दना

जयति -२ जय -२ जय माँ शारदे ,
शत शत वंदन अभिनन्दन !
माँ कोटि -२ नमन वंदे !! -२

ऐसी ज्योति जगादे मन में अज्ञान- का तम् हरले !
वीणा धारिणी हंस वाहिनी ज्ञान दायनी दुःख क्लेश हरले !
जयति.............................................................. वंदे !!

कटुता से जिव्हा अकुलाई वाणी में मधुर शब्द भर दे !
निज स्वार्थ तजे उपकार करे हम , हमारे एसे करम करदे !
जयति............................................................. वंदे !!

स्नेह का नीर बहादे दिल से छल दम्भ द्वेष हर ले !
भेद भाव सब दिल से हर ले जीवन में समता रस भर दे !
जयति............................................................. वंदे !!

धवल धवल निर्मल आंचल तेरा तेरे आंचल में सुख का बसेरा !
हर दिन हो खुशियों का सवेरा तेरी ममता हम पर कर दे !!
जयति......................................................... वंदे !!

कल कल नदिया गान करे झर झर निर्मल झरने बहे !
शीतल निर्मल पवन बहे हवा से विष हरण कर ले !
जयति........................................................ वंदे !!

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