क्लोज सोने नही देता है !
सुबह आ गया तो शाम ,
होने नही देता है !
इस चक्रवियु को अभी तक कोई भेद नही पाया है !
लाखो के वारे न्यारे हो जायेंगे !
इसी उधेड़बुन में जो इसमे घुस गया ,
बहार निकल नही पाया है !
दिमाग और धन दोनो गवाया है !
हर दिन तर्क कुतर्क लगाकर ,
अपना दिमाग खपाया है !
अपना गणित जमता है ,
कभी खुल्ले कभी जोड़ी लगाता है !
नही आने पर एक अंक से चुक गए ,
इसी अफ़सोस में कुछ देर पछताता है !
अगले दिन आने की उम्मीद में फिर फंस जाता है !
मैने तो अभी तक अच्छे अच्छे को ,
इसमे बरबाद होते देखा है !
किसी किसी को तो घर के बर्तन बेंचकर ,
सट्टा लगाते देखा है !
स्थानीय खाईवाल को पुलिस के डंडे खाते देखा है !
फीर भी सट्टा खाने से बाज नही आता है ,
अपने ही दोस्त मित्र गाँव वालो को रोज रोज फंसाता है !
हर दिन हजारो में इकठ्ठा करके ,
आपने ही गाँव का धन बहार भिजवाता है !
माना की ये एक खेल है अंको का मेल है ,
मिंडी से नौका तक की रेल है !
करोड़ो खिलाडियों को हर दिन खिलाता है !
मगर मेरे देखते देखते आज तक कोई ,
धनपति नही बन पाया है !
अगर सटोरिये लखपति बन गए होते तो ,
इससे चलने वाला कटोरा लेकर भीख मांग रहा होता !
और सट्टा कभी का बंद हो गया होता !
दोस्त ऐसा नही है !
उसके तो करोड़ो के वारे न्यारे हो गए है ,
मस्ती के गाने है खुशियों के तराने है !
मगर हमारे कई परिवार के छिन गए खाने है !
आपके दो दो चार चार दस दस बीस बीस ,
रुपयों के गठ बंधन से ऐशो आराम फरमाता है !
मौखिक आदेशों और निर्देशों से ही अपना प्रशाशन चलाता है !
उसके आगे हमारा प्रसाशन भी कुछ नही कर पाता है ,
वह तो सरकार को भी ठेंगा दिखता है !
और दिखा रहा है !
और वर्षों से अपनी स्वतन्त्र स्थाई सरकार चला रहा है !
वह तो अपने अंको के जादू से ,
अपने करोड़ो समर्थको से हर दिन ,
पर्ची डलवाकर आपना समर्थन जुटा रहा है !
करोडो को कंगाल पति बनाकर ,
ख़ुद को करोड़पति बना रहा है !
इस लिए ही तो कहता हूँ यारो दोस्तों ,
इस चक्रवियु में कभी मत फँसना !
अपनी हंसती खेलती जिंदगी को तबाह ,
होने से बचाए रखना !
और जो फंस गए है उन्हे भी इसमे से ,
निकलने की कोशिश करते रहना !
यही निवेदन यही मेरा कहना !
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