Tuesday, October 21, 2008

देश का अंक गणित

हजार चोरों में एक साहूकार हो तो ,
क्या क्या कुछ कर पायेगा !
जब सारे आसमान में छेद हो गए तो ,
कहाँ कहाँ ठेगले लगायेगा !
जब साडी सड़क ही खड्डे से पटी है ,
कौन कौन से गड्डे भर पायेगा !

हर आदमी जख्मी हो कर बैठा है ,
कौन किस के जख्म भरेगा !
कौन किसके लिए जख्म भरेगा ,
कौन किसके लिए मरहम बनेगा !

करता है कोई भरता है कोई ,
करता है मुंच वाला पकड़ता जाता है दाड़ी वाला !
मगर मुछ्मुन्डो के हुजूम में ,
कौन किसी की कैसे पहचान करेगा !
जब चोर सिपाही हो जाए मौसेरे भाई ,
तब कौन किसको पकडेगा !
और जब एक ही कुर्सी के हो जाए अनेको खसम ,
तो कुर्सी का चरित्र भ्रष्ट्र होने से कैसे बचेगा !

जब शकुनियों की जमात की जमात हो ,
उंनके लिए कौन तो युधिष्टिर और कौन कौन दुर्योधन बनेगा !
और अर्जुन का तो दूर दूर तक पता ही नही है !
कही भूले से श्री कृष्ण इस जमीं पे अवतरित हो गए ,
तो किसके रथ के सारथि बनेंगे !
कलयुग में रोज रोज के घर घर में हो रहे ,
महाभारत के लिए कौन कौन धर्म युद्ध लडेगा !
गीता ज्ञान कौन कहाँ किस को सुनाएगा !

जहा पितामह जैसे ही सत्ता कुर्सी के लोभी हो ,
वहा राज देश के लिए कौन सर्वर्स त्याग करेगा !
आँखों से देखते हुए भी अपने पुत्रो की तरफ़ से ,
उंनके पिता धत्राष्ट्र हो गए है !
जिनके गली गली में घूमते कोरवो से लड़ने के लिए ,
मजदूर की तरह हुए द्रोन कहाँ से पांडव तैयार करेगा !
गली गली में दुशाशन हो गए है !
कब कहा किस का चीर हरण हो जाए तो ,
अकेला कृष्ण कहाँ कहाँ चीर बडाने को खड़ा रहे !
और जहा देखो वहा भीक मांगो की भीड़ लगी है ,
कौन दान वीर कर्ण बनेगा !

एक साधू हजार सैतान ,
एक काजी हजार कफीर !
धर्म भी कब तक दम भरेगा !
हजारो गद्दारों में एक देश भक्त ,
कब तक देश भक्क्ति का चराग रोशन रखेगा !
अपनी अपनी दाड़ी की आग बुझाने में सब लगे है ,
देश की आग बुझाने को कौन अपने हाथ जलाएगा !
ऐसे देश की समस्याओ को उपचार कैसे हो पायेगा !

जो जमीन पचास बरस पहले ३० करोड़ के लिए थी ,
उस पर सो करोड़ हो गए है !
जन संख्या व़द्धी ने सारी व्यवस्था को ठेंगा दिखा दिया है !
चाहे प्रधान मंत्री हजार माथे का हो जाए ,
क्या खाख व्यवस्था करेगा !
एक की जगह हजार है जहाँ देखो वहा कतार है ,
एक अनार हजार बीमार है !
हर आदमी सरकार के भरोसे बैठा है ,
जबकि सरकार ख़ुद आनेको बैसाख़ीयो पर खड़ी है !
क्या किसी समस्या का उपचार हो पायेगा !

भगवान् स्वयं भी जमीन पर उतर आए तो ,
यह सब कुछ देख कर घबराकर मरने के लिए ,
चुल्लू भर पानी ढुँडता फिरेगा !
तो वह भी उससे नही मिलेगा !!

1 comment:

बीते हुये पल said...

वाह वाह बहुत सीधी बात कही।