ग़दर, माँ तुझै सलाम, २३ मार्च १९३१ शहीद,
टी लिजेंड ऑफ़ भगतसिंह,
जैसी फिल्म देख देख कर हमे भी देश भक्ति उमड़ आयी !
हमारे तन बदन में देशभक्ति समां गयी ,
आज कल देश भक्ति दिखाई जाती है होती नही !
हम भी देश भक्ति दिखाने के चक्कर में ,
खादी परिधान पहन कर स्वतंत्रता दिवस समाहरोह में जा पहुचे !
हम जैसे ही आयोजन स्थल द्वार पे पहुचे ,
हमारे परम मित्र हमारे सामने आ गए !
और बोले आइये आइये नेता जी ,
वाकई जाच रहे हो बिल्कुल नेता लग रहे हो !
हम घबराए सकपकाए और सोचने लगे ,
मित्र ने हमें नेताजी कहकर हमारा सम्मान बढाया ,
या गली दी, समझ ना पाए !
हम कुछ कहते संभलते इससे पहले ही मित्र,
पत्रकार मुद्रा में आ गए !
और हम पर पर्श्नों की झडी लगा दी ,
और बोले अच्छा तो आप भी शामिल होने जा रहे है !
देश को बरबाद करने में किस टोल में हो ,
संविधान के साथ कौन सा बलात्कार करोगे ,
आकेले रहोगे या सामूहिक करोगे !
कौन सा कानून तोड़ोगे किस की गर्दन मरोडोगे ,
किसी गिरोह में शामिल होगे या अकेले रहोगे !
या ख़ुद अपना गिरोह बनाओगे ,
दलालों को कन्डीयों को घोटालियो को या दल बद्लुओ को ,
किस किस को शामिल करोगे !
किस प्रान्त में भ्रष्टाचार की घांस उगाओगे ,
और किस प्रांत में आग लगाओगे !
आम कांड करोगे या दलाली खाओगे ,
घपला करोगे या घोटाला बड़ा या छोटा !
सभी ने तो करोड़ो में किए है ,
आप इन् से कम रहोगे या आगे निकल जाओगे !
आप बुरा न माने तो एक बात पुछुँ ,
आप में शर्म लाज तो रहेगी नही !
हमारे काम के भी ना रहोगे ,
आप अपने काम और दाम बनाओगे !
आदमी जाती से तो बहार ही निकल जाओगे ,
वर्तमान में पलित और भविष्य में भूत हो जाओगे !
क्या यूरिया खाकर घांस पचाओगे ,
या शक्कर की चासनी में डुप्कीयाँ लगाओगे !
या नोटों का बिस्तर बिछा कर सो जाओगे ,
या पनडुब्बी में बैठ कर सागर की सैर कर आओगे !
या बोफोर्स तोप पर बैठ कारगिल की चोटी पर चढ़ जाओगे ,
हाथ किसी के न आओगे !
जैसे तैसे मित्र से पीछा छुड़ाकर आयोजन स्थल ,
के द्वार से घर आ गए !
हमें शीघृ आता देख श्रीमती घबराई ,
और पूछा इतनी जल्दी !
हमने कहा इस खादी परिधान में देख ,
मित्र ने हमें आदमी से जाने क्या क्या बना दिया !
और नेताजी कह कह कर गलियाँ दी !
सो श्रीमती जी टपक से बोली ,
तो बन जाइये ना नेता जी !
शायद हमारे भाग्योदय का समय आ गया है ,
हमारे सारे दुःख दूर हो जायेंगे !
हम सभी सुख राम हो जायेंगे !
हमारी आने वाली पीडियाँ तर जाएँगी ,
पीड़ी तो पीड़ी हमारे पुरखे भी तर जायेंगे !
खुशी से नगाडे बजायेंगे !
देखो लालू को करोड़ो का चारा खाकर भी ,
छूटपल्ले घूम रहा है !
रोज अखबार टी वी में आ रहा है ,
और राष्ट्रीय राजनीती पे छा रहा है !
नरसिंहा का क्या बिगड़ गया ,
निर्दोश हो कर स्वर्ग ही चला गया !
जयललीता का कोई कुछ नही बिगाड़ सका ,
मुख्य मंत्री बनकर सरकार चला रही है !
सुखराम सुखमय हवाला के सारे दोष दोष मुक्क्त हो गए ,
पनडुब्बी तोप दलाली जाने कहा खो गए !
में भी आपके मन मष्तिष्क की राबडी बनना चाहती हूँ ,
माय डीयर हसबैंड आप मेरे लालू बन जाइये !
कुछ दिन के लिए जेल जाने को तैयार हो जाइये !
किसी राज्य का सी ऍम मुझे भी बनने दीजिये ,
प्रान्त में भ्रष्टाचार की हरी हरी घास उगाकर ,
हमें भी चरने दीजिये !
आप भी सारे राज्य को खूब चरना ,
और दिल्ली में जाकर पचाना !
और सारे देश को चरना और संसद में जाकर डकारना !
प्लीज माय डीयर होनहार हसबैँड ,नेताजी बन जाइये बस !!
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