चिराग रोशन रहो -२ ,
लगता है सुबह हुई नही !
सूरज तो ऊगा है मगर ,
धुंध अभी छ्टीँ नही !
लगता है दोपहरी आ गयी ,
नींद अभी खुली नही !
साँझ ढलने को है अभी -२ ,
ये दुनिया अभी जगी नही !
अंधेरो में भटके हुए है लोग ,
रौशनी अभी मिली नही !
जिस राह पे चलना है इन्हे ,
वो राह अभी मिली नही !
सब कुछ तो है मगर ,
खुशी इन्हे मिली नही !
सभी को एक ठोर की तलाश है ,
वो मंजिल अभी मिली नही !
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