Tuesday, October 21, 2008

चिराग रोशन रहो

चिराग रोशन रहो -२ ,
लगता है सुबह हुई नही !

सूरज तो ऊगा है मगर ,
धुंध अभी छ्टीँ नही !

लगता है दोपहरी आ गयी ,
नींद अभी खुली नही !

साँझ ढलने को है अभी -२ ,
ये दुनिया अभी जगी नही !

अंधेरो में भटके हुए है लोग ,
रौशनी अभी मिली नही !

जिस राह पे चलना है इन्हे ,
वो राह अभी मिली नही !

सब कुछ तो है मगर ,
खुशी इन्हे मिली नही !

सभी को एक ठोर की तलाश है ,
वो मंजिल अभी मिली नही !

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