Tuesday, October 21, 2008

इंसानियत का नाता

इस छोटी सी जिंदगी में नफरत ना पालो दिल में ,
दिल को बना लो प्यार मोहब्बत का आशियाना !

आज है यहाँ तो कल होगा कहाँ ठिकाना ,
पल का नही भरोसा इन् राहों पे कब है आना !

ये जिंदगी एक सफर है चलता है आना जाना ,
आते जाते यहाँ मुसाफिर दिल किसी का नही दुखाना !

हो गम की ठोकर तो फिरभी न लडखडाना ,
मुस्कुराहटोँ की ठोकरों से मुश्किलें युही हटाना !

निराशा रोके राहे नही पीछे कदम हटाना ,
उम्मीदों के होसलों पे आगे कदम बडाना !

मोहब्बत तो मजा है ये खुशियों का है खजाना ,
महकेगी जिंदगी ये जो मोहब्बत का फूल खिलाना !

हर दिन होती नयी सुबह तो बिता कल काहे दोहराना ,
आ चला चल ओ मुसाफिर मंजिल तुझे जो पाना !

जाती धर्म मजहब के नाम पर किसी से रिश्ता नही बनना ,
हम इन्सान है सभी तो इंसानियत का नाता सबसे हमें निभाना !

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