Tuesday, October 21, 2008

आओ मेरे साँथ

जागो जागो नौजवानों जागो ओ जवानियों ,
भगत शेखर से जवानियों दुर्गा लक्ष्मी भवनियो !

तुम्हे क्रांति का शंख नाद फुकना है ,
दशो दिशाए तुम्हे आवाज दे रही है !
तुम्हे पुकारता है सारा जहान ,
ये धरती आसमान !

आगे आगे मै चलता हूँ आओ आओ मेरे साँथ ,
इंसानियत को डस रहे है हैवानियत के नाग !
ऐसे नागो के फन तुम्हे ही कुचलना है ,
आगे आगे में चलता हूँ आओ आओ मेरे साँथ !

राकछसी इरादे लील रहे है ,
बेगुनाहों की लाश !
यहाँ वहा लुट जाती है अबलाओं की लाज !
ऐसे राकछसी इरादों की बना आ लाश !

सुरसा सी सांसे निगल रही है ,
नव वधु की साँस !
ऐसी सुरसा सी सांसो से हो जाए दो दो हाथ !
भस्मासुर उग रहे है गाजर घास की तरह ,
इन्हे भस्म करना है दिखादो तांडव नाच !

शक्नुनियो ने बिछा आगे है आगे की बिछात ,
इन् के साथ साथ करदो गे कोरवो का नाश !
फिर से दोहरादों महाभारत इतिहास ,
कोई सुदर्शन चक्रधारी कोई अर्जुन कोई भीम बन जाए आज !

जो ईमान खा रहे लंच डिनर के साँथ ,
सचाई घोल पि रहे मय के जमो के साँथ !
रंगरलिया मन रहे है आजादी के साँथ ,
दरबान बना खड़ा लोकतंत्र वंहाँ आज !
ऐसे गद्दारों मक्कारों को सिखा दो सबक आज !

मानव बना है बम हाथ पे हाथ धरे बैठे हुए हम ,
फिर भी कहते नही थकते है शान्ति है शान्ति है !
ऐसी क्या मजबूरी है,
ऐसी मजबूरी से हो जाए दो दो हाथ !
आगे आगे में चलता हूँ आओ आओ मेरे साँथ !

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