Thursday, October 23, 2008

जर जोरू और जमीन

जर जोरू और जमीन ने कइयो को लड़ा दिया है !
जर जोरू न जमीन रही सब कुछ लुटा दिया है !!

अदालतों में घूम घूम कर सारा वक्त गवा दिया है !
हाथ कुछ नही रहा कइयो को दुश्मन बना लिया है !!

जर जब तक रही जोर रहा जोरू ने दीवाना बना दिया है !
जमी जब तक रही मालिक रहा फ़िर भिकारी बना दिया है !!

जर किस के पास रही है जोरू पर भरोसा ही क्यो किया !
ये जमीन किसके साथ गई है इसने आदमी को खुदमे मिलाया !!

जर जिसने महनत से कमाई है और जोरू को अपना बना लिया !
जमी बस सर छुपाने को चाही है उसने खुशियों को पा लिया !!

आमिरी गरीबी जो भी रही हो जो फकीराना अंदाज में जिया है !
जर जोरू और जमीन से मोह न किया है उसने जिंदगी को मौज से जिया है !!

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