Tuesday, October 21, 2008

सफर

जाना है कही दूर हमें , जिंदगी के इस सफर में !

न पता है पास अपने , न ख़बर है उस डगर की !
न पता है वक्त का भी, न किसी को ये ख़बर है ! !

ना है हमें आकेले ही , ये खूबी है इस सफर की !
न कोई समान साथ होगा, न टिकट है उस सफर की ! !

ना के हमें बस यही, वापसी नही है उस सफर की !
उस सफर को मौत कहते है, ये सच्चाई उस सफर की ! !

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