Tuesday, October 21, 2008

लीक से हटकर

लीक से हटकर कुछ करने के लिए ,
हिम्मत चाहिए कुछ करदिखाने का जस्बा चाहिए !
ये जमाना क्या कहेगा इस फितरत से ,
दिमाग तो मुक्ति चाहिए !

रस्म रिवाजो की जकडन में कब तक जकडे़ रहोगे ,
रुडियो की उलझनों से निकलने के लिए ,
विचारो की क्रांति चाहिए !

यदि परिवर्तन चाहते हो तो बदलाव का तूफान उठाओ ,
नया कुछ एसा कर दिखाओ की मिसाल बन जाए ,
अरे मशाल थामने के लिए कोई न कोई हाथ चाहिए !

कोरे खोखले झूठे दिखावो को आपनी शान समझते हो ,
जो संविधान और कानून के ख़िलाफ़ है ,
उससे अपने समाज का मान सम्मान समझते हो !

अपने मन के बनाये नियम कानूनों के पालन में ,
सारे सिधांत संविधान धरे रह जाते है !
जो किसी किताब में न लिखे हो ,
उन्हे आम समाज के सिधांत नियम कह कर अपनाए जाते हो !
और संविधान प्रदत्त कानूनों अपने स्वार्थ में एक झटके में तोड़ जाते हो !

और लीक से हटकर कुछ करने का मौका जब भी आता है ,
तो परिवार जाती समाज की बनाईं अंधी सुरंगों में ,
घुस जाते हो और बहार निकलने की हिम्मत ही नही कर पाते हो !
अवस्थाओ को कब तक कोसते रहोगे ,
कहने बकने बहस से कुछ नही बदल सकता है !

सच में अगर बदलाव चाहते हो तो ,
ख़ुद को अपने से ही शुरू करना होगा !
एक से अनेक होंगे अपने पीछे और भी होंगे ,
पगडन्डीयों ख़ुद बा ख़ुद बनती जायेगी उन् पर पथिक आते जाते रहेंगे !

अवस्था बदलने के लिए मस्तिशको का आनुस्थापट होना चाहिए ,
आकेला कुछ नही कर सकता इस हताशा से बाहर निकलना चाहिए !
इतिहास के पन्ने पलट कर देखो ,
जो कुछ भी हुआ है किसी ने अकेले ही शुरू किया है !
लोग साथ होते गए कारवाँ बनता गया !
अगर बनाना है तो आपने स्वार्थ और सुख की कुर्बानी होना चाहिए !

आओ मेर्रे साथ मुझे आप का साथ चाहिए !!
लीक से हटकर कुछ करने के लिए...........

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