ये जिंदगी गमों का सागर है ,
खुशियों का सरोवर कैसे बने !
निराशाओं के अंधेरे में ,
आशा की किरण जगे तो कैसे जगे !
नागों ने डस लिया है कलियों को ,
खुशियों के सुमन कैसे खिले !
जब सारे चमन में नागफनी उग आए हो ,
गुलाब खिले तो कैसे खिले !
जंहा बदले और नफरत के बीज हो ,
वहाँ नेह का कमल खिले तो कैसे खिले !
काली गहरी धुंध छाई हो आसमान पे ,
वंहाँ मोहब्बत की खुशबू बहे तो कैसे बहे !
उम्मीदों की रौशनी कहीं नजर आती नही ,
अंधेरो की बस्ती में सपन सजे तो कैसे सजे !
सूरज के प्रश्न है ये कुछ अटपटे उलझे ,
इंनके उत्तर मिले तो कहाँ से कैसे मिले !
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