Wednesday, October 22, 2008

सूरज के प्रश्न

ये जिंदगी गमों का सागर है ,
खुशियों का सरोवर कैसे बने !

निराशाओं के अंधेरे में ,
आशा की किरण जगे तो कैसे जगे !

नागों ने डस लिया है कलियों को ,
खुशियों के सुमन कैसे खिले !

जब सारे चमन में नागफनी उग आए हो ,
गुलाब खिले तो कैसे खिले !



जंहा बदले और नफरत के बीज हो ,
वहाँ नेह का कमल खिले तो कैसे खिले !

काली गहरी धुंध छाई हो आसमान पे ,
वंहाँ मोहब्बत की खुशबू बहे तो कैसे बहे !

उम्मीदों की रौशनी कहीं नजर आती नही ,
अंधेरो की बस्ती में सपन सजे तो कैसे सजे !

सूरज के प्रश्न है ये कुछ अटपटे उलझे ,
इंनके उत्तर मिले तो कहाँ से कैसे मिले !

No comments: